रिम्स बना राज्य का पहला ब्रेन डेथ की घोषणा करने वाला अस्पताल..

Jharkhand: झारखंड के विभिन्न जगहों से रिम्स में एक दिन में लाखों लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से अपना इलाज करवाने रांची आते है। झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स राज्य का पहला ब्रेन डेथ की घोषणा करने वाला अस्पताल बन गया है। ब्रेन डेड कि स्थिति में मरीज के मस्तिष्क द्वारा सभी क्रियाओं पर विराम लग जाता है। डॉक्टर किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने से पहले कई प्रकार के परीक्षणों के आधार पर पुष्टि की जाती है। ब्रेन डेथ को किसी भी प्रकार के किसी भी इलाज से ठीक नहीं किया जा सकता है। किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद परिवार की सहमति से अंगदान का निर्णय लिया जाता है, ताकि किसी जरूरतमंद को जीवनदान दिया जा सके।

मिल चुका है आदेश…
झारखंड के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा State Organ and Tissue Transplant Organization (SOTTO) की ओर से ब्रेन डेथ घोषणा के लिए प्रस्तावित मेडिकल विशेषज्ञों की टीम के गठन का अनुमोदन प्राप्त हो गया है। अंतर्गत मेडिकल बोर्ड की टीम द्वारा ब्रेन डेथ घोषित किए जाने को लेकर केंद्रीय अधिनियम मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 की धारा-3 की उपधारा-6 मे प्रावधान है।

ब्रेन डेथ क्या है…
रीढ़ की हड्डी से जुड़ा हुआ ब्रेन स्टेम दिमाग का निचला हिस्सा होता है। श्वसन व हृदय को नियंत्रित कर ब्रेन स्टेम शरीर के महत्वपूर्ण केंद्र है। रोड एक्सीडेंट, सिर पर गंभीर चोट लगना, ब्रेन स्ट्रोक या ऐसी शारीरिक स्थिति या किसी भी प्रकार की घटना जिसमें मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित हो, तो यह ब्रेन डेथ का कारण बन सकता है।

कृत्रिम तरीके से वेंटीलेटर रखे जा सकते हैं अंग…
जब किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है तब मस्तिष्क द्वारा सभी प्रकार की क्रियाओं पर विराम लग जाता है ब्रेन डेथ की स्थिति में मरीज़ के मस्तिष्क की मृत्यु हो जाती है ऐसी स्थिति में हृदय, किडनी, लिवर आदि अंगों को कृत्रिम तरीके से वेंटीलेटर के माध्यम से जीवित रखा जा सकता है। हालांकि यह अंग भी तभी तक जीवित रह सकते हैं, जब तक व्यक्ति वेंटिलेटर पर है और कुछ समय बाद हृदय भी काम करना बंद कर देता है।

कैसे होता है परीक्षण…
परीक्षण 6 घंटे के अंतराल में अनुमोदित सूची में से 4 डाक्टरों के पैनल द्वारा किसी व्यक्ति को ब्रेन डेथ घोषित किया जाता है।
स्वतः श्वसन न कर पाने की क्षमता ( एपनिया टेस्ट)
• पुतलियों का प्रकाश पर प्रतिक्रिया न देना
• शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द होने पर कोई प्रतिक्रिया न दिखना
• आंख की सतह को छूने पर आंखों का न झपकना (कॉर्नियल रिफ्लेक्स न होना)
• कान में बर्फ का पानी डालने पर भी आंखों का न हिलना -EEG परीक्षण में मस्तिष्क की कोई गतिविधि न दिखाना व अन्य परीक्षण।

परिवारों से बात कर करते है अंगदान…
ब्रेन डेथ की स्थिति को ठीक नहीं किया जा सकता यह स्थिति स्थायी होती है। डॉक्टर के द्वारा किसी मरीज को किसी ब्रेन डेड घोषित करने के बाद परिवार के साथ बात करके अंगदान का निर्णय लिया जाता है, ताकि किसी जरूरतमंद को जीवनदान मिल सके।