झारखंड में अफसरों की बढ़ी मुसीबत, हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच का दिया आदेश..

झारखंड उच्च न्यायालय ने आदित्यपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में नियमों का उल्लंघन कर जमीन आवंटित करने और नियमों का न पालन करते हुए व्यावसायिक दर निर्धारित करने की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए है। अदालत के अनुसार आइडा के अधिकारियों ने मिलीभगत कर नियमों का उल्लंघन किया गया है। जिस कारण कोर्ट ने आइडा की तत्कालीन एमडी और वर्तमान में उद्योग सचिव वंदना डाडेल की संलिप्तता पाते हुए उनकी भी सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया है।

कोर्ट को किया गुमराह..
कोर्ट ने कहा कि उद्योग सचिव वंदना डाडेल ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है। वहीं अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा है कि वंदना डाडेल ने अदालत को गुमराह किया साथ ही कई तथ्यों को छिपाया है। इस कारण उनकी जांच हो और सबूत मिलने पर उनके खिलाफ आदेश मिलने के 15 दिनों के भीतर कार्रवाई करें। साथ ही अदालत ने माना है कि प्रार्थी ने आइडा के अधिकारियों से मिल कर फर्जीवाड़ा किया है इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है।

कोर्ट को नहीं मिलता सम्मान..
बता दें कि इस मामले पर कोर्ट ने कहा है कि राज्य के अधिकारी कोर्ट का सम्मान नहीं करते हैं। अदालत के सवालों के जवाब देना भी उचित नहीं समझते हैं। यह मामला साल 2009 से लंबित है। वहीं इन 13 सालों में प्रार्थी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करने से यह साफ पता चलता है कि अधिकारी कोर्ट की आड़ में व्यक्तिगत लाभ उठा रहे हैं, जो की बेहद गंभीर मामला है। कोर्ट ने आगे कहा कि पूरे मामले की जांच अब सीबीआइ की एसआइटी करे। जिससे प्रदेश में फैल रहे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जा सके। साथ ही अदालत ने आदेश देते हुए कहा कि साल 2001 से अब तक आइडा में काम कर रहे सभी अधिकारी और कर्मचारियों की बहाली के समय से आय से अधिक संपत्ति की भी जांच हो।

अदालत को नहीं मिला स्पष्ट जवाब..
दरअसल सुनवाई के दौरान अदालत में कहा गया था कि प्रार्थी को प्लांट लगाने के लिए आइडा में वर्ष 2001 में जमीन आवंटित की गई। जिसके बाद उन्होंने उक्त जमीन पर कार सर्विस सेंटर खोल लिया। जिसके बाद आइडा ने इसके लिए दस गुना शुल्क वसूलने का आदेश जारी किया। वहीं सुनवाई के दौरान अदालत को इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी कि उक्त जमीन कैसे आवंटित कराई गई। जिसके बाद कोर्ट ने उद्योग सचिव से पूछा कि तत्कालीन आइडा के एमडी और उद्योग सचिव के खिलाफ इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जिसका कोई स्पष्ट जवाब दाखिल नहीं किया गया।

नियमों में आयडा नहीं कर सकता संशोधन..
बता दें कि अदालत ने उद्योग सचिव से मामले में विस्तृत जानकारी मांगी। जिसके बाद उनकी ओर से दाखिल किये गए शपथपत्र में कहा कि आयडा को नियमों में संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आयडा में नियमों का उल्लंघन कर कर्मचारी अपने अधिकार का दुरूपयोग कर जमीन आवंटन कर रहे हैं। जिसमें उनका निजी स्वार्थ दिख रहा है। जिस वक्त शो रूम के लिए व्यावसायिक दर निर्धारित किया गया उस समय वंदना डाडेल ही आयडा की चेयरमैन के पद पर कार्यरत थीं। वहीं सचिव बनने के बाद भी इस मामले में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

सीबीआइ को सौंपी जांच..
हालांकि अदालत ने बताया कि इस तरह के मामले की जांच राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी से भी कराई जा सकती है। लेकिन वर्तमान में वंदना डाडेल कैबिनेट सचिव पैड पर नियुक्त भी हैं। वहीं राज्य की एक वरीय आइएएस को ईडी ने गिरफ्तार किया है। जिसके बाद इस मामले की एसीबी से जांच कराना उचित नहीं होगा। इसलिए इस मामले की जांच अब सीबीआइ को सौंपी जा रही है।

यह है पूरा मामला..
बता दें कि बेबको मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि कंपनी को भारत फोम इंडस्ट्रीज को प्लांट लगाने के लिए जमीन आवंटित किया गया था। वहीं बाद में कंपनी ने अपना प्रोजेक्ट बदल दिया और वहां कार का सर्विस सेंटर व रिपेयरिंग सेंटर खोलने की अनुमति मांगी। जिसके बाद आयडा के अध्यक्ष ने शो काज किया और प्रोजेक्ट बदलने का कारण पूछा। फिर आइडा के बोर्ड ने उनके आवेदन को मंजूरी दे दी। वहीं ऐसे में उनके खिलाफ शो काज नहीं किया जा सकता है। साथ ही उनसे कोई व्यवसायिक राशि भी नहीं ली जा सकती।