झारखंड में स्थानीय नियोजन नीति पर मचा घमासान, सहमति के लिए बुलाई जाएगी सर्वदलीय बैठक!

हेमंत सरकार ने प्रदेश में 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को लेकर प्रक्रिया तेज कर दी है। वहीं राज्य मंत्रिपरिषद में इस मामले में सैद्धांतिक निर्णय किया जा चुका है। जल्द ही इससे संबंधित विधेयक झारखंड विधानसभा में पेश किया जाएगा। वहीं विधायी औपचारिकता पूरी करने के बाद इसे राज्यपाल रमेश बैस के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। हालांकि इन प्रक्रियाओं के पहले झारखंड सरकार सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेने की कोशिश कर सकती है। साथ ही इसके तहत सर्वदलीय बैठक बुलाया जा सकता है, जिसमें सभी दलों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।

सर्वदलीय बैठक की ऐसे हुई थी पहल..
बता दें कि कई अहम मुद्दे पर आम सहमति बनाने की प्रक्रिया पहले से चलती आ रही है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जब अपने शासनकाल में नीति का निर्धारण किया था तब उन्होंने निर्णय लेने के पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें सभी राजनीतिक दलों के अपने अपने सुझाव दिए थे। वहीं 1985 से पहले राज्य में रहने वालों को इस दायरे में लिया गया था। झारखंड में फिलहाल यही नीति प्रभावी है। जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हेमंत सरकार भी सभी दलों से सुझाव लेने के लिए संयुक्त बैठक कर सकती है।

सोरेन सरकार के साथ खड़े सभी दल..
दरअसल झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति बनाने का निर्णय राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया तब कई स्तर पर सुझाव और आपत्तियां सामने आने लगीं। वहीं सत्ताधारी गठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस के नेताओं ने भी इसपर खुलकर आपत्तियां जताई। बता दें कि कोल्हान प्रमंडल में 1964-65 में जमीन का अंतिम सर्वे होने को प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष और चाईबासा की सांसद गीता कोड़ा और उनके पति राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने आधार बनाया। साथ ही कुछ अन्य विधायकों ने भी इसपर आपत्ति जताई। जिसे देखते हुए सत्तापक्ष के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुलाई थी। जिसके बाद से सत्तापक्ष का स्वर एक होता दिखने लगा। साथ ही कांग्रेस दल के नेताओं ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय उन्हें पूरी तरह स्वीकार है और वे इस नीति से सहमत हैं। इसके अलावा राजद नेताओं ने भी सरकार के इस फैसले पर सहमति जताई है।

आजसू पार्टी ने जताई सहमति..
वहीं 1932 खतियान संबंधित स्थानीयता नीति पर सोरेन सरकार के फैसले पर विरोधी दल भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी ने भी अपनी सहमति जाहिर की हैं। बता दें कि आजसू पार्टी ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति के निर्धारण की मांग उठाई है। उन्होंने कहा है कि इसका ड्राफ्ट भी जल्द सार्वजनिक हो। हालांकि भाजपा अब भी इसका विरोध करने में लगी हुई हैं। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है, जबकि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्होंने 1932 खतियान मामले को अपने शासनकाल में लागू करने का निर्णय लिया था लेकिन यह प्रस्ताव हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था।