हर्ष उल्लास के साथ झारखंड में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस..

Jharkhand: अगस्त को हर साल विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने तथा दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में उनके योगदान और उपलब्धियों को स्वीकार कर इस दिन को मनाया जाता है। इस वर्ष झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस त्योहार के रूप में मनाया गया है। रांची के बिरसा मुण्डा स्मृति पार्क में दिनों तक चल रहे विश्व आदिवासी दिवस महोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन श्री हेमंत सोरेन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को मनाने के लिए राज्य के अलग-अलग हिस्सों से बहुत सारे लोग एकत्रित हुए थे। लोगों के हर्षो उल्लास के साथ आज का कार्यक्रम कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों को दी गई श्रद्धांजलि…
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि JMM के अध्यक्ष शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पहुँचते ही कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ है। कार्यक्रम की शुरुआत मणिपुर हिंसा में मारे गये आदिवासी समुदाय के लोगों को श्रद्धांजलि देकर की गई। वहां मौजूद सभी लोगों ने अपने जगह पर खड़े होकर एक मिनट तक मौन रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

महत्त्व और बलिदानों का किया जिक्र….
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बधाई देते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने आदिवासी समाज के महत्व और उनके बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी समाज स्वाभिमानी कौन है, यह किसी से भीख नहीं मानता। हम इस देश के मूल वासी हैं। हमारे पूर्वजों ने जंगल बचाया, पहाड़ बचाया है। हमें जंगल में गरीब के रूप में ना देखें । विकास की पूरी कहानी हमारे पूर्वजों के पास है। जरूरत है कि आदिवासी समाज के प्रति सम्मान और सहयोग पैदा किया जाए। आज जो हम विभाजित और असंगठित हैं यही वजह है कि एक राज्य से दूसरे राज्य के आदिवासी का विषय एक साथ नहीं मिल पा रहा है। जब लड़ाई अस्तित्व को वजूद की हो तो सामने आना ही पड़ता है। मिट कर भी उसे हासिल करना ही पड़ता है। आदिवासी नाचने गाने वाले हैं लेकिन जब गुस्सा होते हैं जो जबान नहीं तीर चलता है।

रिसर्च और महत्वपूर्ण किताबो को किया गया लोकार्पण…
कार्यक्रम में एक साथ 35 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया जिसमें कई तरह के रिसर्च और महत्वपूर्ण किताबें हैं। आदिवासी महोत्सव के मौके पर एक खास डाक टिकट का भी लोकार्पण किया गया है।

दो दिन तक चलेगा कार्यक्रम….
दो दिवसीय आयोजन में आदिवासी कला-संगीत, सांस्कृतिक और सहित्यिक विरासत का अद्भुत समागम देखने को मिल रहा है। महोत्सव में कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है, जिसमें फैशन शो, पारंपरिक आदिवासी आभूषणों का प्रदर्शनी देखने को मिल रहा है। जिसमें अंडमान से लेकर, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल से कलाकर देखने को मिल रहे है।

10 अगस्त को होगा खास….
10 अगस्त को भी पाइका नृत्य, उरांव आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य, गोंड आदिवासी समुदाय का किहो नृत्य, कर्नाटक के आदिवासी समुदाय द्वारा दमनी लोक नृत्य, लखन गुड़िया का मुंडारी गायन वादन, पद्मश्री एच मधु मंसूरी की गायन प्रस्तुति, रमेश्वर मिंज द्वारा बांसुरी वादन, अरुणाचल प्रदेश के निशि आदिवासी समुदाय द्वारा रेखम पड़ा नृत्य, असम के हाजोंग आदिवासी समुदाय द्वारा लेवा टाना नृत्य, दिओरी आदिवासी समुदाय का बिहू नृत्य, झारखंड का डोमकच नृत्य व गुजरात के अफ्रीकन आदिवासी समुदाय द्वारा सिद्धि धमाल नृत्य की प्रस्तुति होगी।