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हजारीबाग के किसान पीएम मोदी से संवाद की प्रतीक्षा करते रहे पर नहीं हो सकी पीएम से बात..

हजारीबाग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से झारखंड के हजारीबाग जिले के किसान अशोक कुमार मेहता और फुलेश्वर महतो की आज बात नहीं हो सकी। इससे किसान काफी मायूस दिखे। दोनों किसानों को बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह के माध्यम से बुधवार की रात को ही लिंक मिल गया था। जिन्हें PMO कार्यालय के द्वारा गुरुवार को दोपहर 11 बजे से आयोजित आभासी बैठक में ऑनलाइन जुड़ना था।

दरअसल PMO कार्यालय से जारी निर्देश के बाद बाजार समिति हजारीबाग के माध्यम से गुरुवार की सुबह किसानों को जानकारी मिली कि देशभर के 4 किसानों में से केवल एक किसान से ही पीएम बात करेंगे। पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के किसान प्रहलाद बगौड़े से 4 मिनट बातचीत की। 1 घंटे तक चले इस ऑनलाइन कार्यक्रम में जब हजारीबाग जिले के किसानों को PM से बात करने का मौका नहीं मिला तो किसान मायूस हो गए।

पीएम मोदी से बातचीत को लेकर उत्साहित दोनों किसान अपनी पत्नी, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों और किसानों के साथ लिंक के माध्यम से सही समय पर ऑनलाइन जुड़े थे और उचित समय पर अपने नाम पुकारने की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन उनकी बारी नहीं आने से सभी मायूस हो गए। किसान अशोक मेहता और उनकी पत्नी रेणु देवी ने कहा कि हम सब बहुत खुश थे की पीएम से बात करने का सौभाग्य मिला है। किसान की पीड़ा को उनके समक्ष रखेंगे पर बात नहीं हो सकी।जिससे निराशा हुई। वहीं किसान फुलेश्वर महतो भी अन्य किसानों के साथ पीएम से बात करने की प्रतीक्षा करते रहे। लेकिन बात नहीं हो सकी।

किसान अशोक मेहता और चुरचू प्रखंड के किसान फुलेश्वर महतो ने बताया कि दोनों किसानों की समस्या समेत अंतरराष्ट्रीय कृषि बाजार पर अपनी बात रखना चाहते थे। भारत के किसान कृषि के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ चुके हैं लेकिन उत्पादित फसल की उचित कीमत किसानों को नहीं मिल पाती है। इसलिए विदेशी बाजार में भारत के किसान अपने उत्पाद को बेचना चाहते हैं।वहीं बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के किसान प्रहलाद बगौड़े से ई-नाम पोर्टल के बारे में बात की। किसान की बात से पीएम प्रसन्न हुए और यह व्यवस्था देशभर में लागू करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि इस बार हजारीबाग के किसानों को मौका नहीं मिल सका लेकिन मुझे विश्वास है कि आगे मौका जरूर मिलेगा। हजारीबाग के किसानों ने ई-नाम पोर्टल पर देश स्तर में पहचान बनाई है।