गिरिडीह : आप सबने फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ तो देखी होंगी। यह थ्योरी असल में सही नहीं है। यह बात नई भी नहीं है। क्योंकि वर्षों बरस से हाथी इंसान की जान लेते रहते हैं। यही कारण है कि लोग अक्सर बोल पड़ते हैं-हाथी अब नहीं रहे साथी। सीधे कहें तो ‘नहीं बन सकते हाथी मेरे साथी।’ झारखंड के गिरिडीह में जंगली हाथी बेकाबू हो चुके हैं। उनकी राह में इंसान दिख रहा है तो उनका रूख हमलावर हो जा रहा है। पिछले 24 घंटे में हाथियों ने चार लोगों की जान ले ली है। सरिया में अंबेडकर चौक के पास हाथियों ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया। वहीं डुमरी एवं पीरटांड़ में भी एक-एक इंसान को जान से हाथ धोना पड़ा। अभी भी हाथी गांवों में हैं। और कितनी जानें जा सकती है, कोई नहीं जानता। वन विभाग के लोग सिर्फ खानापूरती कर रहे हैं। आम ग्रामीण टीना बजा रहे हैं तो वन विभाग के लोग मान रहे हैं कि एकाध दिन में हाथी जंगल की तरफ निकल जाएंगे।
पहली घटना सरिया क्षेत्र में हुई जहाँ गुरुवार की रात अम्बाडीह में हाथियों के झुंड ने दो व्यक्तियों को कुचल डाला, जिसमें एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि दूसरे ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इधर, डुमरी में शुक्रवार की रात जंगली हाथी ने एक व्यक्ति को कुचल कर मार डाला। घटना डुमरी के खुदीसार पंचायत के ठंढा बहियार गांव की है। हाथी के हमले से बुरी तरह से जख्मी व्यक्ति को ग्रामीणों के सहयोग से गिरिडीह सदर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। वहीं पीरटांड़ थाना के के परसबनी गांव में हाथी ने एक महिला को कुचलकर मार डाला। घटना शनिवार को भोर तीन बजे की है।