रांची/घाटशिला | झारखंड की राजनीति में एक बार फिर चुनावी माहौल बनने जा रहा है। पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला विधानसभा सीट, जो पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई थी, वहां 11 नवंबर 2025 को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना होगी।
भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को उपचुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा कर दी। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
🗓️ चुनाव कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल
- अधिसूचना जारी होने की तारीख: 13 अक्टूबर 2025
- नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अक्टूबर 2025
- नामांकन की जांच: 22 अक्टूबर 2025
- नाम वापसी की अंतिम तिथि: 24 अक्टूबर 2025
- मतदान: 11 नवंबर 2025 (सोमवार)
- मतगणना: 14 नवंबर 2025 (गुरुवार)
चुनाव आयोग ने कहा है कि पूरी प्रक्रिया 18 नवंबर 2025 तक पूरी कर ली जाएगी।
🗳️ घाटशिला विधानसभा का जनसांख्यिकीय परिदृश्य
यह विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है।
कुल मतदाताओं की संख्या 2,55,823 है —
- पुरुष मतदाता: 1,24,899
- महिला मतदाता: 1,30,921
- ट्रांसजेंडर मतदाता: 3
- दिव्यांग मतदाता: 2,735
इस निर्वाचन क्षेत्र का लिंग अनुपात 1,048 है, यानी यहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। निर्वाचन आयोग ने 300 मतदान केंद्र और 218 मतदान स्थल तैयार किए हैं।
🏛️ झामुमो से सोमेश सोरेन की दावेदारी लगभग तय
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए यह उपचुनाव भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद पार्टी उनके पुत्र सोमेश सोरेन को उम्मीदवार बनाकर सहानुभूति की लहर का लाभ उठाने की रणनीति पर विचार कर रही है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
🧭 भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण समीकरण
घाटशिला सीट झामुमो का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है, लेकिन भाजपा ने 2014 में इस किले में सेंध लगाई थी, जब लक्ष्मण टुडू ने यहां जीत दर्ज की थी।
पिछले दो विधानसभा चुनाव (2019 और 2024) में झामुमो के रामदास सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र) को हराया था।
अब सवाल है — क्या भाजपा फिर से बाबूलाल सोरेन पर दांव लगाएगी या किसी नए चेहरे को मौका देगी?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा सहानुभूति और स्थानीयता के संतुलन को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाएगी।
🕰️ घाटशिला की चुनावी यात्रा एक नजर में
| वर्ष | विजेता पार्टी | विजेता उम्मीदवार | दूसरे स्थान पर |
|---|---|---|---|
| 2005 | कांग्रेस | प्रदीप कुमार बलमुचू | झामुमो |
| 2009 | झामुमो | रामदास सोरेन | भाजपा |
| 2014 | भाजपा | लक्ष्मण टुडू | झामुमो |
| 2019 | झामुमो | रामदास सोरेन | भाजपा (बाबूलाल सोरेन) |
| 2024 | झामुमो | रामदास सोरेन | भाजपा (बाबूलाल सोरेन) |
🔍 आगामी मुकाबला प्रतिष्ठा का प्रश्न
यह उपचुनाव झामुमो के लिए रामदास सोरेन की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की परीक्षा होगा, वहीं भाजपा के लिए यह मौका है अपनी खोई जमीन वापस पाने का।
कांग्रेस और आजसू जैसे दल भी इस चुनाव में अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि उपचुनाव मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के सख्त अनुपालन के साथ होगा और किसी भी गड़बड़ी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
11 नवंबर का दिन झारखंड की राजनीति के लिए अहम साबित होगा। घाटशिला उपचुनाव न सिर्फ एक सीट का मुकाबला है, बल्कि यह यह तय करेगा कि आदिवासी राजनीति में झामुमो का प्रभाव बरकरार रहता है या भाजपा दोबारा वापसी करती है।


