बंगाल चुनाव में मैदान में नहीं उतरेगा झामुमो, दीदी की टीएमसी को दिया समर्थन..

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बंगाल विधानसभा चुनाव न लड़ने का निश्चय किया है। कुछ समय पूर्व पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया गया था। लेकिन अब पार्टी ने अपना फैसला बदल दिया है और चुनाव में अपने उम्मीदवार न उतार कर तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। इससे पहले झारखण्ड और बंगाल के सीमावर्ती जिले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभा की थी, जिस पर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया की बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनकी फोन पर बात हुई जिसमें उन्होंने हेमंत सरकार से समर्थन माँगा। श्री सोरेन ने ये भी कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालत को देखते हुए बंगाल में ऐसी ताकतों का स्थापित होना सही नहीं होगा, इस वजह से ये निर्णय लिया गया।

ज़ाहिर है कि झामुमो ने बंगाल चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर ली थी। लगभग 40 सीटों पर झामुमो अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थी। इनमे से अधिकांश सीटें झारखण्ड से सटी हुई थी जहां आदिवासी वोटरों की संख्या ज़्यादा थी। इसके लिए पार्टी के कई नेता बार बार बंगाल का दौरा भी कर रहे थे और राजनीतिक गतिविधियों में बने हुए थे। लेकिन अब झामुमो ने चुनाव न लड़ कर टीएमसी को समर्थन देने का फैसला लिया है। साथ ही राष्ट्रीय जनता दाल ने भी टीएमसी के साथ हाथ मिलाते हुए चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। अब झारखण्ड के महागठबंधन से केवल कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो वाम दलों के साथ मिल कर टीएमसी और भाजपा के विरूद्ध चुनाव लड़ेगी।

वहीं, झामुमो के इस फैसले पर भाजपा ने चुटकी ली है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झामुमो के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का अंदाज़ा था कि बिहार की तरह पश्चिम बंगाल मे भी उनकी दाल नहीं गलने वाली। इसलिए मौका देख कर झामुमो मैदान छोड़ कर भाग खड़ी हुई। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि झामुमो ने बंगाल चुनाव को ले कर बड़े बड़े दावे किये थे लेकिन उन्हें भी पता चल गया इस बार भाजपा के सामने किसी की नहीं चलने वाली।

गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने झारखण्ड के सीएम हेमंत सोरेन को सलाह देते हुए कहा था कि अगर उनसे झारखण्ड की कमान संभाली नहीं जा रही तो बंगाल से आ कर चुनाव लड़ें। अब हेमंत सोरेन ने बंगाल में चुनाव न लड़ने की घोषणा कर के इस सच को स्वीकार कर लिया है।