पलामू: दोनों सगी बहनें यशोदा देवी और अघनिया कुंवर पलामू टाइगर रिजर्व से सटे गांव अखरा की रहने वाली हैं। यशोदा देवी और अघनिया कुंवर पिछले 6 सालों से पलामू टाइगर रिजर्व की सुरक्षा में जुटी हुई हैं। दो बहनें हाथ में टांगी और कुल्हाड़ी लेकर पूरे पलामू टाइगर रिजर्व की सुरक्षा करती हैं। सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे इनकी ड्यूटी चलती है। इस दौरान उन्हें कई खतरनाक कामों को अंजाम देना पड़ता है। कई बार लकड़ी माफिया बंदूक लेकर जंगल में प्रवेश करते हैं। जिनसे इनकी जान को खतरा होता है। मगर दोनों बहनें काफी निडर हैं।
जंगल में कई बार घुसपैठिये हरे पेड़ों को काटने के लिए घुसते हैं। लेकिन जब इन दोनों बहनों के हाथों में लहरा रहे कुल्हाड़ी पर उनकी नजर पड़ती है, तो वे भाग खड़े होते हैं। जब तस्करों के हाथों में हथियार होता है तब ये दोनों बहुत सावधानी से काम लेती हैं। कोई सीधी कार्रवाई करने के बजाय इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को तुरंत पहुंचाती हैं। जिसके बाद पुलिस बल के द्वारा कार्रवाई की जाती है।
अघनिया कुंवर के पति का देहांत 5 साल पहले ही हो चुका है। ऐसे में उसे चार छोटे-छोटे बच्चों को भी संभालना पड़ता है। अघनिया सुबह तीन बजे उठकर घर का काम निपटा कर जंगल की ओर निकल पड़ती है। बच्चों के लालन-पालन की चिंता और शादी विवाह का खर्च उसे चिंतित करता है। जंगल से लेकर घर तक के संघर्ष की कहानी को बताते अघनिया की आंखें नम हो जाती हैं, क्योंकि आर्थिक तंगी के कारण जीवन में दर्द बहुत है। फिर भी वह दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
यशोदा देवी का कहना है कि उसका पति हमेशा शराब के नशे में डूबा रहता है। इस कारण घर चलाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि उसे ड्यूटी करनी पड़ती है। मगर जंगल की रक्षा करते हुए वह अपने आप को खुश पाती है क्योंकि हमेशा जंगल से उसका जुड़ाव रहा है। वह कहती है कि अगर पति का साथ होता तो नौकरी और भी अच्छी लगती।