पलामू रिजर्व में एक बाघ होने का मिला प्रमाण..

झारखंड के एकमात्र बाघ आरक्षित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में फिलहाल एक बाघ मौजूद है। पीटीआर प्रबंधन द्वारा देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भेजे गये स्केट (मल) के आधार पर इसकी पुष्टि की गयी है। इंस्टीट्यूट ने रिपोर्ट जारी कर कहा है कि पीटीआर के भेजे गये स्केट के छह सैंपल में एक बाघ व एक तेंदुआ का है, वहीं चार अन्य स्केट का सैंपल काफी पुराना हो गया था। राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राजीव रंजन ने बताया कि 18 दिसंबर को स्कैट के छह नमूने को डब्ल्यूआईआई देहरादून भेजा गया था। इसकी जेनेटिक रिपोर्ट गुरुवार को मिली। रिपोर्ट के मुताबिक नमूनों में से एक बाघ और एक तेंदुए का प्रमाणित हुआ है। उन्होंने कहा कि जल्द ही स्कैट के कई और नमूने डीएनए टेस्ट के लिए भेजे जा रहे हैं।

पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष के मुताबिक हाल में महुआडांड़ पीटीआर में भैंस के शिकार के पास दो तरह के पंजे के निशान मिले हैं। अनुमान है कि इसमें से एक वयस्क बाघ और उसके शावक के पंजे के निशान हैं। इसकी जांच भी डब्ल्यूआईआई से कराई जा रही है। दस दिन में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। 18 दिसंबर को भेजे गए छह में से तीन नमूनों की जांच ताजा नहीं होने के कारण सही प्रकार से नहीं हो पाई है। इसलिये नए सिरे से स्कैट के ताजा नमूने भेजे जा रहे हैं। उम्मीद है कि एक बाघ, एक बाघिन और उसका एक शावक पीटीआर में है।

पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि इस वन क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि देहरादून स्थित भारतीय वन्य प्राणी संस्थान ने की है। पिछले साल 22 दिसंबर को यहां से बाघ का मल (स्केट) देहरादून स्थित वन्यप्राणी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि मल की जांच-पड़ताल के बाद संस्थान ने पुष्टि की है कि मल बाघ का ही है, जिससे प्रमाणित होता है रिजर्व में बाघ मौजूद हैं।

राज्य सरकार पर उठते रहे हैं सवाल..
राज्य में बाघों के संरक्षण के लिए एकमात्र पलामू टाइगर रिजर्व है जहां बाघ की गैर मौजूदगी को लेकर बार-बार राज्य सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ महीने पहले ही झारखंड उच्च न्यायालय ने भी रिजर्व में बाघों की गैर मौजूदगी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि बाघ नहीं हैं तो इससे बंद कर दिया जाना चाहिए, आखिर सार्वजनिक धन की बर्बादी का क्या मतलब है?

क्षेत्र निदेशक ने बताया कि कुछ दिन पहले महुआडांड़ के जंगल में भी बाघ के बाल एवं मल प्राप्त हुए। इसके अलावा उसके पद चिन्ह (पगमार्क) भी मिले हैं जिसे देहरादून वन्यप्राणी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि ट्रैप कैमरे में कैद तस्वीरों को अब परखने जांचने एवं खंगालने की तैयारी हो रही है। पूरे अभयारण्य में 509 कैमरे लगाए गए हैं। आशुतोष ने बताया कि रिजर्व में बाघ के अतिरिक्त तेन्दुओं की मौजूदगी को भी वन्यप्राणी संस्थान ने प्रमाणित किया है।