संतोष हत्याकांड मामले में शिक्षा मंत्री के भाई समेत सात लोगों को मिली उम्रकैद की सजा..

बोकारो: झारखंड के बोकारो जिला के 2014 के चर्चित संतोष हत्याकांड पर तेनूघाट व्यवहार न्यायालय में जज राजीव रंजन ने अपना फैसला सुनाया, जिसके अंतर्गत मुख्य आरोपी झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के छोटे भाई बैजनाथ महतो समेत सभी साथ अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस हत्याकांड में बैजनाथ महतो के साथ गणेश भारती, नेमी पुरी, कैलाश पुरी, जितेंद्र पुरी, नीरज पुरी एवं केवल महतो को दोषी करार दिया गया,वहीं साक्ष्य के अभाव में 3 आरोपियों सत्येंद्र गिरी, मेघलाल पूरी एवं सूरज पूरी रिहा कर दिया गया।

2014 में घटित इस घटना को संतोष के बड़े भाई अनंत लाल पांडे के बयान के आधार पर नावाडीह थाना में मामला दर्ज किया गया था। जिसमें अनंत लाल पांडे ने अपने आवेदन में बताया था कि उसके छोटे भाई संतोष कुमार पांडे की हत्या पीट-पीटकर कर दी गयी थी, उन्होंने ये भी बताया था कि डुमरी विधायक जगन्नाथ महतो ने जनता दरबार में संतोष को पीटने का आदेश दिया था। जिसके बाद विधायक के भाई बैजनाथ महतो की अगुवाई मे दोषी पाए गए सभीअभियुक्तों द्वारा संतोष पांडे को अमानवीय ढंग से पीटा गया और बेहोशी कि हालत में डीवीसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन, इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी।

लगभग सात साल तक चली इस सुनवाई में कुल 34 लोगों के बयान दर्ज किए गये जिसके आधार पर न्यायालय अपने अंतिम फैसले पर पहुंची। इस मामले में सरकार ने जगरनाथ महतो पर दर्ज मुकदमे की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था। लेकिन उनके खिलाफ किसी प्रकार के साक्ष्य न मिलने पर उन्हें एसआइटी ने दोषमुक्त करार दिया था। वहीं मुख्य आरोपी बैजनाथ महतो पहले से ही जेल में हैं। बाकी छह आरोपितों को न्यायिक हिरासत में लेकर तेनुघाट जेल भेज दिया गया।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 34 गवाहों का बयान न्यायालय में दर्ज कराया गया. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक संजय कुमार सिंह और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सत्यनारायण डे, कुमार अनंत मोहन सिन्हा एवं अरुण कुमार सिन्हा ने अदालत में बहस की.

क्या था पूरा मामला?
अलारगो निवासी संतोष पांडे भंडारीदह के आदिवासी शिशु मंदिर में शिक्षक था और वह गणेश भारती की बहन को ट्यूशन भी पढ़ाता था। इसी दौरान दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे और प्रेमिका की जिद्द में आकर दोनों चेन्नई भाग गए। जब आरोपियों को इस बात कि भनक लगी तो दोनों को वापस लाया गया जिसके बाद युवती को उसके रिश्तेदार के यहाँ भेज दिया गया। वापस लाने के क्रम में भी उसे काफी प्रताड़ित किया गया और संतोष के खिलाफ थाने में अपहरण का भी मामला दर्ज किया गया था। हालांकि घटना के बाद आरोपी की मौत हो जाने के बाद यह मामला समाप्त कर दिया गया।