रांची: मेधा घोटाले की सीबीआई जांच में 55 अधिकारियों की नियुक्ति पाई गई गलत..

झारखंड के बहुचर्चित मेधा घोटाले की सीबीआई जांच में जेपीएससी संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा प्रथम और द्वितीय के 55 अधिकारियों की नियुक्ति गलत पाया है| इन अधिकारियों पर गलत तरीके से परीक्षा में सफल होने का आरोप था, जो जांच में सही पाए गए हैं| इनमें जेपीएससी प्रथम के 20 और द्वितीय के 35 अधिकारी शामिल हैं| अब सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने की अनुमति मांगी है| जैसे ही अनुमति मिलेगी चार्जशीट दायर कर दी जाएगी|

ज्ञात हो कि, सीबीआई ने जेपीएससी प्रथम के 62 और द्वितीय के 172 अधिकारियों की नियुक्ति की जांच शुरू की थी| जेपीएससी प्रथम में सफल हुए दो अधिकारी यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पाकर आईपीएस और आईआरएस कैडर में चयनित हुए| इसके बाद 62 अधिकारियों को लेकर जांच की गई, जिनमें 20 अधिकारियों के गलत ढंग से परीक्षा में सफल होने की पुष्टि हुई| इसी तरह जेपीएससी द्वितीय में भी 35 अधिकारियों ने गलत तरीके से सफलता हासिल की है|

अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए अलग-अलग तरह की गड़बड़ियां की गई थी| कई अभ्यर्थियों ने उत्तर पुस्तिका में तो कुछ भी नहीं लिखा और नंबर दे दिए गये| कुछ उत्तर पुस्तिकाओं में अंदर कुछ और नंबर थे, वहीं मुख्य पन्ने पर कुछ और नंबर अंकित था| कई अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के मुख्य पन्ने पर 33 नंबर को 88 नंबर कर दिया गया था| इसके अलावा कई उत्तर पुस्तिकाओं में सवालों के जवाब गलत होने के बावजूद पूरे नंबर दिए गए थे|

नंबर देने में गड़बड़ी करने वाले परीक्षतों की भी जांच शुरू..

इसके बाद अब सीबीआई ने नंबर देने में गड़बड़ी करने वाले परीक्षकों की भी जांच शुरू कर दी है | सीबीआई ने उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी कराया है जिसमें पूर्व और वर्तमान परीक्षकों द्वारा दिए गए नंबरों में भारी असमानता पाई गई| ऐसे में अब सीबीआई ने पूर्व के परीक्षकों से पूछताछ शुरू कर दी है| उनसे ये जानने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने किस दबाव में ज्यादा नंबर दिया था| दोषी पाए गए ऐसे परीक्षकों के खिलाफ अलग से चार्जशीट दायर होगी|

दोषी पाए गए अधिकारियों के नाम..
दोषी पाए गए अधिकारियों में कुमारी गीतांजलि, विनोद राम, मौसमी नागेश, रजनीश कुमार, कुंदन कुमार, मुकेश कुमार महतो, राधा प्रेम किशोर, कानू राम नाग, श्वेता वर्मा, रंजीत लोहरा, लक्ष्मी नारायण किशोर और अन्य शामिल हैं|

जेपीएससी प्रथम का रिजल्ट 2004 में और द्वितीय का 2008 में जारी हुआ था| दोनों परीक्षाओं में जब गड़बड़ी के आरोप लगे तो सरकार ने निगरानी विभाग को जांच का जिम्मा सौंपा| इसी दौरान हाईकोर्ट में मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर पीआईएल दायर की गई| जिस पर एक्शन लेते हुए हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस एनएन तिवारी ने 2012 में प्रथम बैच के 20 अधिकारियों के वेतन पर रोक लगाते को कहा औऱ सरकार को उनसे काम लेने से मना कर दिया|

बाद में एक अभ्यर्थी ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया| सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए सीबीआई जांच के आदेश को स्थगित कर दिया औऱ साथ ही याचिकाकर्ता को काम पर रखने और वेतन देने का निर्देश दिया| इसके बाद सभी 20 अधिकारियों को पद पर बहाल रखा गया और जांच बंद कर दी गई| साल 2017 में राज्य सरकार ने एक बार फिक सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की तो अदलात ने फिर सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी| तब से सीबीआई मामले की जांच कर रही है|

आगे क्या होगी कार्रवाई..
सीबीआई को अनुमति मिलते ही चार्जशीट दायर की जाएगी तथा दोषी अफसरों के खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी होगा| वारंट जारी होते ही दोषी अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाएगा| इतना ही नहीं, 2019 में प्रशासनिक सेवा के पहले बैच के अधिकारियों की दी गई प्रोन्नति भी वापस ले ली जाएगी|