झारखंड हाईकोर्ट में आज से फिजिकल सुनवाई, इन शर्तों के साथ मिलेगी इंट्री..

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में आज से कई पाबंदियों के साथ फिजिकल सुनवाई शुरू होगी। फिजिकल कोर्ट के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने नियम (एसओपी) जारी कर दिए हैं। नए नियम के अनुसार, कोर्ट रूम में प्रवेश के लिए वकीलों को ई-पास बनाना होगा। ई-पास जेनरेट नहीं होने पर वकीलों को अपना आई कार्ड और वकालतनामा दिखाना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही कोर्टरूम में प्रवेश की अनुमति मिलेगी। बिना ई-पास के कोई भी वकील, अधिवक्ता लिपिक और दूसरे लोग प्रवेश नहीं कर पाएंगे। वकीलों के अलग-अलग कोर्ट के लिए भी ई-पास बनाना होगा। ई-पास हाईकोर्ट ही जारी करेगा। सिर्फ महाधिवक्ता, बार कौंसिल के अध्यक्ष, एडवोकेट एसोसिएसन, बार एसोसिएसन के अध्यक्ष को छूट दी गयी है।

वकीलों और सभी संबंधित लोगों को अधिकृत द्वार से ही प्रवेश करना होगा। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करना होगा। मास्क और हैंड सेनेटाइजर भी सभी को रखना होगा। गेट पर ही सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी और तामपान की जांच की जाएगी। मानकों पर सही उतरने वालों को ही न्यायालय में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। कोरोना के लक्षण वालों को प्रवेश नहीं मिलेगा।

फिजिकल कोर्ट में सभी वकीलों को पूरे यूनिफॉर्म और गाउन पहनकर ही प्रवेश करने की अनुमति रहेगी। कोरोना का संक्रमण शुरू होने और वर्चुअल कोर्ट में वकीलों को बिना यूनिफॉर्म के भी पक्ष रखने की अनुमति दी गयी थी, लेकिन इसे अब समाप्त कर दिया गया है। सभी के लिए पूरा यूनिफॉर्म अनिवार्य रहेगा।

न्यायालय कक्ष में एक साथ सिर्फ चार वकीलों के ही प्रवेश की छूट दी गयी है। इसमें दोनों पक्षों के एक-एक सीनियर और एक जूनियर वकील रहेंगे। जरूरत पड़ने पर अधिवक्ता लिपिक को संबंधित फाइल और जर्नल के साथ प्रवेश दिया जा सकता है। इसके लिए संबंधित न्यायालय की अनुमति जरूरी होगी। वकीलों को एक केस में बहस पूरी करने के बाद कोर्ट रूम से बाहर निकलना होगा और वेटिंग प्लेस में जाना होगा। यदि किसी वकील का एक से अधिक केस में सुनवाई है तो उसे हर कोर्ट के लिए अलग-अलग ई-पास बनाना होगा। कोई व्यक्ति यदि खुद अपना मुकदमा लड़ना चाहता है (इन पर्सन) तो उसके भी ई-पास लेना अनिवार्य होगा। जिन अधिकारियों को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया है, उन्हें भी विशेष पास संबंधित अधिवक्ता के अधिकृत करने के बाद पास जारी किया जाएगा। कोर्ट की अनुमति के बाद ही न्यायालय कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति रहेगी।

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