राज्य में एक बार फिर से पत्थलगड़ी आंदोलन चर्चा में है। सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के समीप शिलापट्ट लगाने का प्रयास करने के बाद पत्थलगड़ी समर्थकों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राजभवन पहुंचा| यहां राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर समर्थकों ने एक ज्ञापन सौंपा।
पत्थलगड़ी समर्थक राजभवन के पास अधिकारों को परिभाषित करते हुए बैनर हाथ में लिए राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान ये लोग पारंपरिक गीत भी गा रहे थे।
पत्थलगड़ी के समर्थन में इन लोगों का कहना है कि रांची सहित सभी अनुसूचित क्षेत्रों के प्रमुख स्थानों पर शिलापट्ट हर हाल में लगाया जाएगा। इसके लिए हमलोगों को किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। धनेश्वर टोप्पो के नेतृत्व में आए चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा| इसमें पांचवी अनुसूची के तहत राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों में शासन आदिवासियों के हाथ में देने की मांग की है। साथ ही इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल पहड़ा राजा, फदयूस लाकड़ा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत उनकी यह मांगे हैं जो कि जायज है और पूरी की जानी चाहिए।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल जयपाल सिंह मुंडा की पोती जहांआरा कच्छप ने पत्थलगड़ी का समर्थन करते हुए कहा कि झारखंड में जो भी अनुसूचित स्थान है, आदिवासी समाज की तरफ से अपनी शासन व्यवस्था होनी चाहिए। इन क्षेत्रों में चुनाव कराना असंवैधानिक है।
इन लोगों ने कहा कि जब तक इन की मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा|
राज्यपाल से मिले इस प्रतिनिधिमंडल में धनेश्वर टोप्पो, फदयूस लकड़ा, जहांआरा कच्छप, सहित लोथर टोपनो जनार्दन टाना भगत, फोदो उरांव शामिल थे।