एस्ट्रो फोटोग्राफिक हब बनेगा झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व..

पलामू : झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व जल्द ही एस्ट्रो फोटोग्राफिक हब बनेगा। 8 अगस्त से एस्ट्रो फोटोग्राफिक की शुरुआत होने जा रही है। दरअसल देश में पलामू टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा डार्क साइट मिले हैं जो कि हिमालय क्षेत्र की तुलना में ज्यादा है। इससे अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफरों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी है। ऐसे में यह अब प्रसिद्ध वन आश्रयणी होने के साथ-साथ एस्ट्रो फोटोग्राफीक हब बनने की ओर बढ़ चला है। डार्क साइट फाइंडर वेबसाइट में पीटीआर के बड़े हिस्से को बतौर डार्क साइट चिन्हित किया गया है। डार्क साइड वाली जगह पर प्रकाश प्रदुषण कम रहता है। जिससे एस्ट्रो फोटोग्राफी की जा सकती है। इसमें मुख्य रूप से खगोलीय तस्वीरें खींची जाती है।

150 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मुकेश श्रीवास्तव ने बताया कि पीटीआर में एस्ट्रो फोटोग्राफी की शुरुआत होने से इलाकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। यह विधा फोटोग्राफी में काफी पुरानी है लेकिन अभी पूरी दुनिया में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। बता दें कि धनबाद के रहने वाले मुकेश श्रीवास्तव ने यूके, जर्मनी, हॉलैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली आदि विदेशी भूमि पर भी अपनी फोटोग्राफी का जलवा बिखेरा है।

पलामू टाइगर रिजर्व के दक्षिणी प्रमंडल के उपनिदेशक मुकेश कुमार ने बताया कि पीटीआर में देश-विदेश से फोटोग्राफर आए हैं। इसके लिए जाने-माने फोटोग्राफर मुकेश श्रीवास्तव से बात की गई है। 8 अगस्त को अमावस्या के समय उनके नेतृत्व में पीटीआर में पहली बार एस्ट्रो फोटोग्राफी की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए मरोमार को केंद्र बनाया जाएगा। पूरा पीटीआर एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए अनुकूल है।

पहले देश में हिमाचल क्षेत्र को एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए सबसे बेहतर माना जाता था लेकिन अब पलामू टाइगर रिजर्व को भी पसंदीदा जगह माना जा रहा है। क्योंकि यहां पर काफी डार्क साइट पाए जाते हैं। एस्ट्रो फोटोग्राफी मुख्य रुप से अमावस्या और उसके एक-दो दिन आगे पीछे की जाती है। इसके लिए आसमान और उसके आसपास अंधेरा होना जरूरी है। पूरी दुनिया के फोटोग्राफर इसके लिए ऐसी जगह की तलाश करते हैं और अमावस्या के आसपास वहां पहुंचकर फोटोग्राफी करते हैं।