नक्सली हमले में शहीद हुए तीनों जवान को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई..

चाईबासा के लांजी पहाड़ पर नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए तीन जवानों पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को अंतिम विदाई दी गई|
पलामू के शहीद जवान हरद्वार साव का अंतिम संस्कार गांव के कोयल नदी तट पर का हुआ| शहीद को पिता कैलाश साव ने बेटे की चिता को मुखाग्नि दी| इससे पहले जिले के उंटारी रोड थाना क्षेत्र के लहर बंजारी स्थित शहीद के गांव से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गयी| इस दौरान पूरा गांव शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा| इसमें जिले के एसपी व अन्य अधिकारीगण समेत स्थानीय नेता भी शामिल हुए|

वहीं सिमडेगा के लाल शहीद किरण सुरीन का पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा हुआ कोलेबिरा में उनके गांव गोबरधंसा पहुंचा तो हर तरफ गमगीन माहौल हो गया| शहीद का शव पहुंचते ही पूरे गांव में मातम पसर गया। शहीद के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद की पत्नी ग्रेस सुरीन ने इस घटना को नक्सलियों की कायराना हरकत बताते हुए कहा कि वो इस तरह की घटना को अंजाम देना बंद करें। आखिर क्यों वो अपने ही भाइयों का खून बहा रहे हैं, उनकी जान ले रहे हैं? इससे किसी का भला नहीं होने वाला है। किसी का घर और सुहाग उजाड़कर नक्सलियों को क्या मिलेगा। शहीद की पत्नी ने राज्य सरकार से नक्सल समस्या को खत्म करने की भी अपील की।

उधर, हमले में शहीद हुए तीन जवानों में से एक गोड्डा के देवेंद्र कुमार पंडित के गांव बड़ा धानाबिंदी में भी गम का माहौल है। 75 वर्षीय पिता जीवलाल पंडित को बेटे के जाने का गम तो है लेकिन उसकी शहादत पर उन्हें गर्व है| आंखों से आंसूओं का सैलाब रूक नहीं रहा, बार-बार बेहोश हो जा रहे हैं| रोते रोते जीवलाल बस यहीं कह रहे हम तो किसान हैं। बेटा देश की सेवा में गया तो सीना चौड़ा हो गया था। लेकिन अब कौन हमारा सहारा बनेगा। उनको सांत्वना देने पहुंचे लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे| वहीं दोपहर बाद देवेंद्र की पत्नी दोनों बच्चों के साथ गांव पहुंची। पति का शव देख बेहोश होकर गिर पड़ी|
ज्ञात हो कि गुरूवार की सुबह पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा जिले के टोकलो थाना क्षेत्र स्थित लांजी पहाड़ी में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में झारखंड जगुआर-11 के तीन जवान शहीद हो गए थे|