लालू यादव को चारा घोटाला में झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत..

रांची: चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद को सशर्त जमानत की सुविधा प्रदान की है।अदालत ने उन्हें एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। इसके अलावा अदालत जुर्माने की राशि 60 लाख में से 10 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया है। लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआइ कोर्ट ने पांच साल की सजा और 60 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। इसके खिलाफ लालू प्रसाद ने अपील दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल और देवर्षि मंडल ने अदालत को बताया कि लालू प्रसाद ने इस मामले में अब तक 42 माह जेल में बिताए हैं।

जबकि डोरंडा वाले मामले में उन्हें पांच की साल सजा मिली है। ऐसे में सजा की आधी अवधि 30 माह होती है। इसलिए उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। सीबीआइ ने इसका विरोध किया। कहा गया कि लालू प्रसाद ने इस मामले में करीब ढाई से तीन माह ही जेल में बिताएं है। उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 427 का मुद्दा उठाया गया। लालू की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है। जिसमें उन्हें नोटिस जारी किया गया है। इस पर अदालत ने कहा कि सीबीआइ सिर्फ लालू के मामले में सीबीआइ बार-बार सीआरपीसी की धारा 427 का मुद्दा उठात है। इसके अलावा चारा घोटाले के किसी अन्य सजायाफ्ता में ऐसा नहीं होता है। अदालत ने सीबीआइ की दलील को नहीं मानते हुए लालू प्रसाद को जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।

अदालत ने माना कि लालू प्रसाद इस मामले में 40 माह ही जेल में रहे हैं। लालू के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने बताया कि इस मामले में लालू प्रसाद मंगलवार या बुधवार बेल बांड भरा जाएगा। जिसके बाद निचली अदालत से रिहाई का आदेश जारी किया जाएगा। बता दें लालू प्रसाद को चारा घोटाले के पांचों मामलों में जमानत मिल चुकी है। फिलहाल उनका इलाज दिल्ली स्थित रिम्स में चल रहा है।

यह है सीआरपीसी 427
इसके तहत अगर एक ज्यादा मामलों में किसी को सजा दी जाती है, तो प्रार्थी की जिम्मेदारी है कि वह कोर्ट को इसकी जानकारी दे कि वह पहले से किसी मामले में सजा काट रहा है और इस मामले में उसके जेल की अवधि को गिना जाए।