वन भूमि का गैर वन संबंधी कार्यों में झारखंड है देश में छठे स्थान पर..

Jharkhand: भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 के अनुसार, झारखंड का वन क्षेत्र 23,611 वर्ग किमी है जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 29.62 प्रतिशत है ऐसे में भारत सरकार की ओर से जारी आकड़ों के मुताबिक, वन भूमि का गैर वन संबंधी कार्यों में उपयोग करनेवाले शीर्ष छह राज्यों में झारखंड छठे स्थान पर है। पूरे देश में 15 वर्षों में करीब तीन लाख हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर वन कार्यों (फॉरेस्ट डायवर्ट) के लिए किया गया। इसमें करीब पांच फीसदी वन भूमि झारखंड की है।

9,444 हेक्टेयर है वन भूमि….
झारखंड में 2008 से 2013 तक सबसे अधिक 9,444 हेक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट किया गया। बाद के शासन काल में वन भूमि डायवर्ट करने की गति धीमी रही। 2018- 19 में करीब 1,448 हेक्टेयर वन भूमि डायवर्ट की गयी। अन्य वर्षों में 100 से लेकर 400 हेक्टेयर तक वन भूमि डायवर्ट की गयी थी।

पहले स्थान पर है पंजाब….
देश में सबसे अधिक वन भूमि डायवर्ट करनेवाले राज्य में सबसे ऊपर पंजाब 61,318 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग गैर वन कार्यों के लिए किए गए है। मध्य प्रदेश दूसरे और ओडिशा तीसरे स्थान पर है।

23721.14 वर्ग किमी में फैला है जंगल ….
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें से 23721.14 वर्ग किमी में जंगल लगा अति सघन वन क्षेत्र करीब दो वर्ग किमी घटा है। सघन वन क्षेत्र दो वर्ग किमी के आसपास बढ़ा है। करीब 110 वर्ग किमी अन्य वन क्षेत्र बढ़ा है। यहां कुल भौगोलिक स्थिति का करीब 29 फीसदी भाग में वन भूमि है। हर साल यहां वन भूमि बढ़ रही है।

झारखंड में है देश का 40% खनिज…
झारखंड खनिज के मामले में संपन्न राज्य है। देश का 40% खनिज संप्रदा झारखंड में विद्यमान है ज्यादातर खनिज वन भूमि में होता है। इसके खनन के लिए वन भूमि का डायवर्सन जरूरी है। यह विकास की जरूरत है। पर, ध्यान रखनी चाहिए कि जितनी भूमि डायवर्ट हो रही है। उससे अधिक पौधे लगाये जायें। सघन वन को बचाया जाये।