कोरोना काल के दौरान कोर्ट में सभी सुनवाई वर्चुअल तरीके से की जा रही है। इस पर झारखण्ड राज्य के वकीलों ने वर्चुअल कोर्ट में अपने मुवक्किलों को भी शामिल करने की मांग राखी हैं। यह मांग लम्बे समय से की जा रही है, पर आधिकारिक रूप से इसकी मंज़ूरी नहीं दी गई है। राज्य के भिन्न जिलों में बार संघों ने बार काउंसिल और हाईकोर्ट को पत्र के द्वारा इस मांग को पूरी करने के लिए निवेदन किया है।
राज्य के वकीलों के मुताबिक काफी समय से वर्चुअल कोर्ट रूम होने के कारण उनके मुवक्किल अपनी सुनवाई में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। इसकी वजह से वे काफी आशंका जताते हैं। कई ऐसे भी मामले है जो लम्बे समय से सूचीबद्ध नहीं हुए है। हर बार समझाने पर भी मुवक्किलों पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा जिसके कारण वकीलों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे है। इसी कारणवश वकील मुवक्किलों की मौजूदगी की मांग वकील उनकी सुनवाई के वक़्त कर रहे हैं। वकीलों का यह कहना है कि हाईकोर्ट ने ई-सुनवाई के लिए जो भी नियम बनाए हैं, उनमें मुवक्किलों की उपस्थिति का प्रावधान किया है। साथ ही, ऑनलाइन गवाही का प्रावधान भी किया गया है। सिविल कोर्ट में अभी ऑनलाइन गवाही के बारे में सोचा जा रहा है। इन सब के मद्देनज़र, अब मुवक्किलों की भी उपस्थिति को मंज़ूरी देने पर विचार करना चाहिए।
झारखण्ड में जनवरी से फिजिकल कोर्ट शुरू किया जा सकता है। हालांकि, इस पर अभी तक कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। हाई कोर्ट ने वकीलों से केस दायर करते वक़्त ही ऑनलाइन सहित फिजिकल कोर्ट में सुनवाई का विकल्प देने को कहा है। साथ ही, पहले के दायर किये गए केस के लिए भी इन दोनों विकल्प को मेल द्वारा भेजा जाएगा। इस चुनाव में यदि हर पक्ष फिजिकल विकल्प को चुनता है, तभी फिसिकल सुनवाई को मंज़ूरी मिल पाएगी। अथवा वर्चुअल कोर्टरूम को ही जारी रखा जाएगा।