हाइकोर्ट ने झारखंड के नियोजन नीति को किया निरस्त, 8423 शिक्षकों की नियुक्ति दोबारा करने का आदेश..

झारखंड हाईकोर्ट की ओर से राज्य सरकार को बड़ा झटका मिला है। हाईकोर्ट ने साल 2016 में बनी राज्य की नियोजन नीति को गलत बताते हुए इसे निरस्त कर दिया है। जस्टिस एचसी मिश्रा, जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन की पूर्ण पीठ ने सोनी कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को ये फैसला सुनाया।

हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को आधार बनाते हुए कहा कि सरकार, नौकरियों में 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकती। जबकि झारखंड के 13 जिलों को शिड्यूल डिस्ट्रिक्ट घोषित कर यहां के तृतीय और चतुर्थ पदों पर शत-प्रतिशत सीट स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया गया। जबकि ये गलत है| ये संविधान की धारा 14,15 और 16 का भी उल्लंघन है| उक्त धाराओं के तहत सरकारी नौकरियों में समानता का अवसर दिए जाने का प्रावधान है।कोर्ट ने माना कि नौकरियों के मामले में राज्यपाल को किसी भी जिले को शिड्यूल क्षेत्र घोषित करने का आधिकार नहीं है|लेकिन 14 जुलाई 2016 को राज्यपाल के हस्ताक्षर युक्त जारी अधिसूचना में 13 जिलों को शिड्यूल जिला घोषित कर यहां नियुक्तियोंमें आरक्षण तय कर दिए गए। इस बाबत सरकार की ओर से ये तर्क दिया गया था कि जिलों के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर नियोजन नीति बनाई गई है| इससे वहां के लोगों को नियुक्तियों में लाभ मिलेगा। कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया।

इस मामले में सफल उम्मीदवारों की ओर से अपना पक्ष रख रहे अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट ने शिड्यूल जिले के 8423 टीजीपी शिक्षकों के पद पर अब दोबारा नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है। हालांकि इसमें उन छात्रों को उम्र सीमा में रियायत दी जाएगी, जिन्होंने पिछली परीक्षा में हिस्सा लिया था। अन्य 11 जिलों में हुईं लगभग 9 हजार नियुक्तियां इस फैसले से अप्रभावित रहेंगी। इन मामलों में ना तो कुछ गलत था और ना ही किसी प्रार्थी ने इन नियुक्तियों को चुनौती दी थी| इसलिए शिड्यूल जिलों के बाहर 11 जिलों में हुई नियुक्तियां अभी इस आदेश से अप्रभावित रहेंगी।

ज्ञात हो कि 13 शिड्यूल जिलों में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज, शामिल है।

इस संबंध में बात करते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि अभी कोर्ट के जजमेंट की कॉपी आनी बाकी है| कॉपी देखने के बाद ही सरकार निर्णय लेगी। सरकार चाहे तो हाइकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे सकती है या फिर कोर्ट के आदेशानुसार नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ कर सकती है।