GST काउंसिल की बैठक में झारखंड ने कहा, जीएसटी में सुधार की जरूरत, बकाया भी मांगा..

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आयोजित GST काउंसिल की 45वीं बैठक में झारखंड सरकार के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी शामिल हुए। श्री बादल झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की जगह इस बैठक में शामिल हुए। GST काउंसिल की बैठक से पूर्व झारखंड के कृषि मंत्री श्री पत्रलेख केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में आयोजित इस बैठक में मंत्री श्री बादल के साथ वाणिज्य कर सचिव आराधना पटनायक भी शिरकत कर रही है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में झारखंड ने कहा कि केंद्र सरकार के टैक्स कलेक्शन के फार्मेट में ढांचागत खामियां हैं। जीएसटी का यह ढांचा कंज्यूमर (खपत करने) वाले राज्यों को सपोर्ट करता है जबकि झारखंड जैसे मैन्युफैक्चरिंग व प्रोडक्शन वाले राज्य को इससे नुकसान है। बिजली उत्पादन के लिए पूरे देश को कोयला देने वाला झारखंड ही अंधेरे में है। मंहगे दर पर बिजली खरीदनी पड़ती है।

झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने डीवीसी के बिजली काटने और नोटिस देने के खिलाफ उन्होंने काउंसिल में जोरदार तरीके से विरोध किया। कोयला के जीएसटी स्लैब में बदलाव की मांग राज्य हित में करने की बातें कहीं। उन्होंने राज्य के जीएसटी मुआवजे के पैसे 1544 करोड़ की मांग की है। रॉयल्टी के रूप में 12725 करोड़ जो झारखंड को मिलना है, उसकी ओर भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ध्यान आकृष्ट कराया। झारखंड जैसे राज्य में 73 फीसदी ग्रामीण आबादी है। 39 फीसदी बीपीएल और 27 फीसदी आदिवासी हैं। उपभोग में राज्य के लोग अन्य राज्यों से पीछे हैं। जिसका नुकसान राज्य को उठाना पड़ रहा है।

झारखंड को जीएसटी से पहले कोयले पर सेस के माध्यम से हर महीने 460 करोड़ रुपये मिलते थे, जीएसटी के बाद यह धनराशि अब सभी में बंटता है। उन्होंने काउंसिल की अगली बैठक में कोयला को एजेंडा में शामिल करने की मांग केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष रखा जिसे स्वीकार कर लिया गया। जीएसटी के उद्देश्य का हवाला देते हुए कहा कि इसे लाया गया था कि जीडीपी ग्रोथ तेज होगा। वर्ष 2016-17 में देश का जीडीपी 8.2 फीसदी था, जिसके आने के बाद सामान्य वर्ष 2018-19 में देश का जीडीपी ग्रोथ महज चार फीसदी आया। यह सामान्य वर्ष था इस वर्ष कोरोना नहीं था। उन्होंने कहा कि पूरे देश को कोयला, तांबा, लोहा देने के बाद भी झारखंड के लोग भूखे हैं। इन बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है।