तपती गर्मी और बिजली संकट: झारखंड का हाल बेहाल..

रांची: इन दिनों झारखंड में टेंपरेचर 40 से 45 डिग्री के बीच रह रहा है और इसी बीच बिजली भी लोगो का साथ नही दे रही। झारखंड में बिजली की खपत लगभग 2900 मेगावाट तक की है, लेकिन सप्लाई केवल 2200 मेगावाट तक ही हो पा रही है। 500 से 700 मेगावाट बिजली के उत्पादन की कमी के चलते ज्यादातर शहरों में बिजली की काफी कटौती हो रही है। सिर्फ आम लोग ही नही बल्कि हर एक सेक्टर इंडस्ट्री से ले कर हेल्थ तक इस तरह के बिजली की कटौती के कारण काफी परेशान है।बताया जाता है की झारखंड राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के उपर अभी लगभग 47 करोड़ की रकम बकाया है और यही सबसे प्रमुख कारण है जिस वजह से झारखंड तक अतिरिक्त बिजली नहीं पहुँच पा रही।

झारखंड में गंभीर बिजली संकट

कंगाली मे आटा गिला ये कहावत झारखंड राज्य के बिजली संकट का बेस्ट उदाहरण है। इस परेशानी की एक और वजह बताई जा रही है वो ये की कोडरमा स्थित डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के केटीपीएस की एक यूनिट कुछ तकनीकी वजहों के कारण रविवार से ठप पड़ी हुई है। ये ही नही डीवीसी झारखंड के सात जिलों मे बिजली की सप्लाई करता है। इन जिलों मे धनबाद, कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा और बोकारो शामिल हैं। मुख्य तौर पर झारखंड इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के सेंट्रल पूल पर बिजली के लिए डिपेंड रहता है। चूंकि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के नियम कुछ ऐसे है की अगर यहाँ से बिजली ली जाती है तो 75 दिनों के अंदर भुगतान करना पड़ता है और अगर ऐसा न किया गया तो बिजली अपने आप कट जाती है। हालांकि जेबीवीएनएल ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने 47 करोड़ में 20 करोड़ का भुगतान किया है, शेष राशि 27 करोड़ का भुगतान आज कर दिए जाने की उम्मीद है।

राजधानी रांची तक का बुरा हाल

रांची निगम के सूत्रों का कहना है कि ये बकाया क्लीयर करने के बाद सेंट्रल सेक्टर जरूरत के अनुसार बिजली देने लगेगी। कहा जा रहा है कि रांची मे लोड शेडिंग के कारण भी बिजली मे कटौती की जा रही है। रांची शहर के बिजली की खपत के अनुसार अभी करीब 100 मेगावाट कम बिजली मिल रही है। पीके श्रीवास्तव जो की जेबीवीएनएल के रांची एरिया बोर्ड के जेनरल मैनेजर है उनका कहना है कि कम बिजली मिलने की वजह से राज्य मे संकट है। जरूरत के समय पर रांची को अकेले 300 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है लेकिन केवल 200 – 220 मेगावाट ही मिल पाती है। समय देखते ही भाजपा जो की विपक्षी पार्टी है उन्होंने बिजली संकट को ले कर सरकार पर धावा बोल दिया है और इसी बीच संजय सेठ ( संसद रांची ) ने कैंडल की रोशनी में प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य सरकार को घेरा है। उनका कहना है की राज्य के इंडस्ट्री और व्यापार सब बिजली के संकट के चलते मारे मारे फिर रहे हैं और सरकार को इनकी कोई फिक्र ही नहीं।झारखंड राज्य के पूर्व सीएम और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बिजली के संकट का जिम्मेदार ठहराया है।