चिरूडीह हत्याकांड में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी दोषी करार..

झारखंड के चर्चित बड़कागांव गोलीकांड मामले में रांची की अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी को दोषी करार दिया है वहीं बेटे अंकित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने यह फैसला सुनाया। अब सजा की बिन्दु पर सुनवाई होनी है। आगामी 24 मार्च को सजा का ऐलान होगा। पिछले दिनों दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बड़कागांव गोली कांड से जुड़े मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को गंभीर आरोपों के तहत जेल भेजा गया। हजारीबाग के बड़कागांव गोली कांड का मामला वर्ष 2016 में दर्ज किया गया था।

इस मामले में झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर वर्ष 2016 में आंदोलन किया था। चिरूडीह खनन क्षेत्र में NTPC के खिलाफ हुए बड़कागांव, हजारीबाग में हुए इस आंदोलन का नाम कफन सत्याग्रह दिया गया था। अचानक इस आंदोलन की आग में पूरा इलाका झुलस गया था। शासन-प्रशासन और पुलिस ने आंदोलन खत्म कराने की पूरी कोशिश की। कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही। इसके बाद बड़कागांव की तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

बाद में ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर विधायक निर्मला देवी को हिरासत से छुड़ा लिया। पुलिस-नागरिकों में हिंसक झड़प के बाद पहले लाठीचार्ज हुआ। फिर पुलिस ने फायरिंग की। आपसी झड़प में चार लोगों की मौत हो गई जबकि तत्कालीन एसपी कुलदीप कुमार और अंचलाधिकारी शैलेश कुमार सिंह गंभीर रूप से जख्मी हो गये कई अन्य पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश सभी मामले को हजारीबाग से रांची सिविल कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया।

इस मामले में वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव के खिलाफ जिला प्रशासन ने 2 दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए थे। जिनमें से 11 मामलों में योगेंद्र साव अदालत से बरी हो चुके हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से डे टू डे सुनवाई चली। अभियोजन पक्ष की ओर से 20 वहीं आरोपियों की ओर से बचाव पक्ष ने 7 गवाहों को पेश किया। दोषी करार होने के बाद अदालत में सशरीर मौजूद रहीं पूर्व विधायक निर्मला देवी को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। वहीं इस मामले में वर्ष 2017 से जेल में बंद पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए।