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लालू दोबारा AIIMS में हुए एडमिट, तेजी से बढ़ रहा किडनी में संक्रमण..

लालू यादव को बुधवार की सुबह दिल्ली के एम्स से डिस्चार्ज करने के बाद दोबारा भर्ती कर लिया गया। उनकी किडनी में संक्रमण तेजी से बढ़ने के बाद इमरजेंसी से नेफ्रोलॉजी के सी-6 वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। यहां नेफ्रोलॉजी के डॉक्टर भौमिक की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। मंगलवार को मेडिकल बोर्ड की सलाह पर लालू को रांची के रिम्स से दिल्ली रेफर किया गया था। मंगलवार की रात एम्स के इमरजेंसी में रखने के बाद बुधवार की भोर में डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसी बीच रांची आने के दौरान एयरपोर्ट पर उनकी तबीयत दोबारा बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें दोबारा एम्स लाया गया। यहां इमरजेंसी में जांच के बाद लालू को नेफ्रोलॉजी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

लालू के स्वास्थ्य को लेकर उनके छोटे बेटे और बिहार में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बताया कि उनकी किडनी और हार्ट में परेशानी है। रांची में उनका क्रिएटिनीन का लेवल 4.5 था। जब दिल्ली पहुंचने पर इसे चेक किया गया तो बढ़कर 5.1 हो गया था। दोबारा जांच हुई तो इसका लेवल 5.9 हो चुका था। जांच रिपोर्ट बता रही है कि संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है।

इमरजेंसी में जांच के बाद दे दी गई थी छुट्टी..
मंगलवार रात करीब 9 बजे लालू प्रसाद एम्स की इमरजेंसी लाए गए थे। वहां मेडिसिन और नेफ्रोलॉजी के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने उन्हें कई घंटे तक निगरानी में रखकर जांच की। सूत्रों का कहना है कि अहले सुबह करीब तीन बजे उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इसके बाद जब वे बुधवार दोपहर रांची जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे और एम्स में उनके भर्ती न करने की बात सोशल मीडिया पर चलने लगी तो उन्हें फिर से एम्स की इमरजेंसी लाया गया।

वीआईपी प्रोटोकॉल का पालन न होने पर उठे सवाल..
दिल्ली एम्स में इलाज के लिए आने वाले वीआईपी मरीजों के लिए एक अलग प्रोटोकॉल है। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि वीआईपी मरीज के आने से पहले चिकित्सा अधीक्षक को इसकी सूचना दी जाती है। चिकित्सा अधीक्षक के ऑफिस के बगल में एक आधिकारिक वीआईपी कमरा बना है जहां वीआईपी मरीजों का पहले देखा जाता है। अगर वीआईपी मरीज बीमार है तो उसे इस वीआईपी कमरे में न बुलाकर सीधे इमरजेंसी में आने के लिए कहा जाता है। वहां पहले से मौजूद डॉक्टरों की टीम इलाज करती है और फिर मरीज को वार्ड में भेजा जाता है।

अगर लालू प्रसाद की तबीयत ज्यादा खराब थी तो इमरजेंसी से कुछ ही घटे में छुट्टी क्यों दी गई। अगर वह ठीक थे तो उन्हें पहली बार इमरजेंसी में क्यों बुलाया गया, उन्हें वीआईपी रूम में क्यों नहीं बुलाया गया। इस पूरे मसले पर एम्स के चिकित्सा अधीक्षक और अन्य अधिकारी जवाब देने से बचते रहे।