विधानसभा घेराव मामले में पूर्व सीएम सहित 22 पर FIR!

रांची : भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर हुए मुकदमों को झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने फर्जी बताया है। दीपक प्रकाश ने शुक्रवार को प्रदेश मुख्यालय में मीडिया से बाचतीत में यह दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे बैक डेट से किए गए हैं। प्रकाश ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि वे लाख मुकदमे कर लें, लेकिन भाजपा का सरकार के कुशासन के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। दीपक प्रकाश ने विधानसभा घेराव के क्रम में हुए पूरे घटनाक्रम को मीडिया से साझा किया। उन्होंने बताया की धुर्वा थाना में दंडाधिकारी के रूप में तैनात अरगोड़ा के अंचलाधिकारी अरविंद कुमार ओझा के लिखित आवेदन पर उनके साथ 22 लोगों पर नामजद और लगभग 2000 अज्ञात लोगों के ऊपर संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

बुधवार को भाजपा के द्वारा आहूत विधानसभा घेराव के कार्यक्रम में उपस्थित भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, सांसद संजय सेठ, धनबाद के सांसद पीएन सिंह, विधायक सीपी सिंह, नवीन जायसवाल, समरी लाल ,भानु प्रताप शाही, ढुल्लू महतो, मेयर आशा लकड़ा, भाजपा के प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष आरती कुजूर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्य साहू सहित 22 लोगों पर नामजद और लगभग दो हजार अज्ञात लोगों पर धुर्वा थाना में मारपीट, सरकारी काम में बाधा, दंगा फैलाना, सड़क जाम करना, सुरक्षाकर्मियों पर पर मारपीट करना, कोविड-19 के निर्देशों का उल्लंघन करना, धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने, धार्मिक नारेबाजी करना सहित अन्य संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने कहा की सरकार के रंगरूटों ने महिलाओं तक को घसीटा, उनके कपड़े फाड़े। हमें और बाबूलाल मरांडी को भी सरकार के इशारे पर निशाना बनाया गया। एक-एक आदमी को 20-20 लाठियां मारी गईं। महिला मोर्चा की आरती कुजूर, अमरदीप यादव, परमेश्वर राम समेत तमाम पदाधिकारियों को बेदर्दी से पीटा गया। लाठी सरकार ने बरसाई, लेकिन मुकदमे हम पर किए गए। वह भी फर्जी। दावा किया कि सभी मुकदमे बैक डेट से सरकार के दबाव में किए गए हैं। अगर उसी दिन मामला दर्ज होता, तो मीडिया को भी इसकी जानकारी होती। अखबारों में आता। लेकिन मुकदमों की स्क्रिप्ट तो गुरुवार को लिखी गई। इसमें एक भ्रष्ट सीओ की भी भूमिका है।

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी सर्वोच्च होती है। उसकी गरिमा संवैधानिक पद की है। उनकी मर्यादा है। अब विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर फैसला लेने के लिए कमेटी बनाई है। चुटकी लेते हुए कहा कि इस विषय को हम आप पर और झारखंड की जनता पर छोड़ देते हैं।