अदालत के आदेश का दिखा असर, देवघर डीसी और सीओ को रात में झारखंड हाईकोर्ट में होना पड़ा पेश..

जमीन से संबंधित दस्तावेज नहीं दिए जाने पर देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के सीओ को शुक्रवार को रात में देवघर से भाग कर हाईकोर्ट पहुंचना पड़ा। प्रार्थी सुनील कुमार शर्मा को लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट छह माह में भी उपलब्ध नहीं कराने पर जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सुबह 10 बजे सुनवाई के बाद नाराजगी जाहिर की और डीसी तथा सीओ को रात आठ बजे तक हर हाल में हाजिर होने का निर्देश दिया। अदालत ने मुख्य सचिव को दोनों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि दोनों अधिकारी तय समय पर हाजिर नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकाला जाएगा। कोर्ट के आदेश की जानकारी मिलते ही डीसी और सीओ तत्काल रांची के लिए प्रस्थान कर गए और रात 7.50 बजे हाईकोर्ट पहुंच गए। रात आठ बजे अदालत बैठी और मामले की सुनवाई शुरू की गयी। अदालत ने डीसी को 15 दिनों के अंदर प्रार्थी सुनील कुमार शर्मा को लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि अंचल कार्यालय में इसके लिए रजिस्टर रख कर इसकी जानकारी भी रखनी होगी, ताकि लोगों को समय पर रिकॉर्ड उपलब्ध करायी जा सकी।

क्या है मामला?
दरअसल देवघर जिले के मोहनपुर अंचल में प्रार्थी सुनील कुमार शर्मा की एक जमीन से जुड़ा मामला है। यह जमीन 2180 वर्गफीट का है। सुनील कुमार शर्मा अपनी इस जमीन को जनवरी 2019 से ही पत्नी के इलाज को लेकर बेचना चाहते हैं। उन्होंने मोहनपुर अंचलाधिकारी के पास जनवरी 2019 में ही लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दिया ताकि जमीन बेचा जा सके। लेकिन बार बार आग्रह करने के बावजूद आजतक उन्हें लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। काम नहीं होने पर उन्होंने न्याय के लिए झारखंड हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया। इस साधारण काम के लिए डीसी को कोर्ट में हाजिर होना पड़ा।

पहले भी विवादों में रहे हैं भजयंत्री..
भजयंत्री पहले भी विवादों में रहे हैंl अप्रैल 2022 में देवघर में हुए रोपवे हादसे के लिए गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भजयंत्री को जिम्मेदार ठहराया थाl इतना ही नहीं रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एमपी और डीसी में नोकझोंक भी हुई थीl यही नहीं महालेखाकार ने देवघर जिले में पिछले 5 साल के दौरान 7 करोड़ 40 लाख रुपए का आवंटन बिना खर्च करने और और समायोजित एडवांस वाउचर का मामला उजागर किया थाl उसको लेकर भी देवघर डीसी पर भी सहयोग नहीं करने का आरोप लगा था.

चुनाव आयोग ने भी दिया था हटाने का निर्देश..
वहीँ दिसंबर 2021 में चुनाव आयोग ने देवघर डीसी के रूप में पोस्टपेड भजयंत्री पद से हटाने का आदेश भी दिया थाl आयोग ने इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 15 दिनों में आरोप पत्र गठित करते हुए भजयंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया थाl इतना ही नहीं आयोग ने यह भी कहा कि बिना उसकी सहमति के भजयंत्री को भविष्य में चुनाव से संबंधित किसी तरह के काम में नहीं लगाया जाएl चुनाव आयोग ने भजयंत्री को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे पर एक ही दिन में पांच अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज कराने के मामले में दोषी माना थाl इससे पहले चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए उनसे यह भी पूछा था कि आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में गोंडा सांसद पर 6 महीने की देरी से एफआईआर क्यों दर्ज कराया गयाl