मांडर विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा से गंगोत्री कुजूर को मिला टिकट..

रांची के मांडर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष गंगोत्री कुजूर को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने पांच राज्यों की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए शनिवार काे प्रत्याशियों की घोषणा की है। गंगोत्री कुजूर छह जून को अपना नामांकन दाखिल करेंगी। बता दें कि मांडर उपचुनाव के लिए 23 जून को मतदान होगा जबकि वोटों की गिनती 26 जून को होगी। मांडर उपचुनाव के लिए भाजपा से गंगोत्री कुजूर ही सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रहीं थी। प्रदेश भाजपा की भी पहली पसंद वे ही थीं। हालांकि इस सीट के लिए रांची की मेयर आशा लकड़ा समेत आधा दर्जन दावेदारों प्रयासरत थे। टिकट के लिए आशा लकड़ा की रांची से लेकर दिल्ली तक दौड़ खासा चर्चा में भी रही।

वर्ष 2014 में विधायक रह चुकी हैं गंगोत्री कुजूर..
गंगोत्री कुजूर वर्ष 2014 में मांडर से भाजपा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। गंगोत्री कुजूर ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस के बंधु तिर्की को 7605 वोटों से पराजित किया था। गंगोत्री कुजूर को 54200 मत मिले थे, जबकि बंधु तिर्की को 46547। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गंगोत्री कुजूर को मौका न देकर देव कुमार धान को चुनाव में उतारा था। धान झाविमो के बंधु तिर्की से करीब 23 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे।

कांग्रेस ने बंधु तिर्की की बेटी को मैदान में उतारा..
इस सीट से कांग्रेस ने बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को चुनाव मैदान में उतारा है। यह उपचुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बंधु तिर्की के अयोग्य होने के बाद मांडर सीट रिक्त हुई है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा होने के बाद बंधु तिर्की की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई है और नियमानुसार वे छह सालों के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो गए हैं। लंबे समय से भाजपा से जुड़ी गंगोत्री कुजूर दो बार महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष और एक बार महामंत्री रह चुकी हैं। अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में भी उन्होंने अपना योगदान दिया है।

इस कारण खाली हुई है यह सीट..
इस सीट से कांग्रेस ने इस बार बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को चुनाव मैदान में उतारा है। यह उपचुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बंधु तिर्की के अयोग्य होने के बाद मांडर सीट रिक्त हुई है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा होने के बाद बंधु तिर्की की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई है और नियमानुसार वे छह सालों के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो गए हैं। इसी कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।