सरना धर्म कोड की मांग कर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम को लिखा पत्र..

Jhupdate: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर आदिवासियों के सरना धर्म कोड की मांग की और साथ ही इस मांग पर शीघ्र और साकारात्मक फैसला लेने का आग्रह किया है। अपने ट्विटर हैंडल पर मुख्यमंत्री ने पत्र की फोटो डाल कर यह जानकारी साझा की है। अपने इस ट्वीट पर सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया है। उन्होंने पीएम से आग्रह किया देश के करोड़ों आदिवासियों के हित में सरना धर्म कोड की मांग पर जल्दी और पॉजिटिव फैसला लेने का हेमंत सोरेन ने पीएम से आग्रह किया है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने सरना धर्मकोड का प्रावधान सुनिश्चित करने का पीएम मोदी पर भरोसा भी जताया है।

विचार कर करें सकारात्मक फैसला…
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पत्र ट्वीट करते हुए लिखा कि “देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है। मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित में आदिवासी / सरना धर्म कोड की चिरप्रतीक्षित मांग पर यथाशीघ्र और सकारात्मक निर्णय लेने की कृपा करने का आग्रह किया है। “मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, उसी प्रकार इस देश के आदिवासी समुदाय के समेकित विकास के लिए पृथक आदिवासी/ सरना धर्मकोड का प्रावधान सुनिश्चित करने की कृपा करेंगे। जोहार!”

सरना धर्म कोड पत्र…
सीएम द्वारा ट्वीट किए गए पत्र में आदिवासी समाज के लोग प्राचीन परंपराओं एवं प्रकृति के उपासक है और पेड़ों, पहाड़ों की पूजा और जंगलों को संरक्षण देने को ही अपना धर्म मानते है। साल 2021 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 12 करोड़ आदिवासी निवास करते है। झारखंड प्रदेश जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, एक आदिवासी बहुल राज्य है। जहां इनकी संख्या एक करोड़ से भी अधिक है। झारखंड की एक बड़ी आबादी सरना धर्म को मानने वाली है। इस प्राचीनतम सरना धर्म का जीता- जागता ग्रंथ स्वयं जल, जंगल, जमीन और प्रकृति है। सरना धर्म की संस्कृति, पूजा पद्धिति, आदर्श और मान्यतताएं प्रचलित सभी धर्मों से अलग है। झारखंड ही नहीं अपितु पूरे देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी / सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की माँग को लेकर संघर्षरत है। प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व के रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है।

विलुप्त हो गई है कई प्रजातियां…
सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम को जानकारी दी की सरना धर्म कोड की माँग इसलिए उठ रही है ताकि प्रकृति का उपासक यह आदिवासी समुदाय अपनी पहचान के प्रति आश्वस्त हो सके। वर्तमान में जब समान नागरिक संहिता की माँग कतिपय संगठनों द्वारा उठाई जा रही है, तो आदिवासी
सरना समुदाय की इस माँग पर सकारात्मक पहल उनके संरक्षण के लिए नितांत ही आवश्यक है। आप अवगत है कि आदिवासी समुदाय में भी कई ऐसे समुह हैं। जो विलुप्ति के कगार पर हैं एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इनकी भाषा, संस्कृति के साथ-साथ इनका अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।