चंद्रयान-3 का सफ़ल प्रक्षेपण, झारखंड एचईसी में बने लांचिंग पैड से भरी उड़ान

Jharkhand: पूरे देश की उम्मीदें लेकर भारत का चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रवाना हुआ। सफल होने पर, मिशन भारत को रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा पर नियंत्रित लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना जाएगा। इसके लिए रांची की दो कंपनियों समेत देश की कई कंपनियों ने विभिन्न कल-पुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति की है। किसी भी सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए जरूरी लांचिंग पैड और सैटेलाइट को संभालने वाले क्रेन का निर्माण झारखंड की राजधानी रांची में हुआ है।

एचईसी ने बनाए कई उपकरण…
रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी), जिसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा जाता है, जीएसएलवी के लिए हॉरिजोंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लैटफॉर्म (एफसीवीआरपी), मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल और 10 टन का हैमर हेड टावर क्रेन बनाया है। इसरो अपने सभी बड़े रॉकेट का प्रक्षेपण इसी मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल से करता है। बता दें कि 10 टन का हैमर हेड टावर क्रेन रॉकेट के बैलेंस को बनाये रखता है।

84 मीटर ऊंचा है सेकेंड लांचिंग पैड…
जिस एसएलपी सेकेंड लांचिंग पैड से चंद्रयान-3 की लांचिंग हुई, उसका कार्यादेश टर्न की प्रोजेक्ट के तहत मेकन को मिला था। मेन के इंजीनियर्स ने इसका डिजाइन बनाया। इसके आधार पर हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी) में सेकेंड लांचिंग पैड का निर्माण हुआ। एचइसी के अधिकारी ने बताया कि एसएलपी के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण एचइसी के वर्कशॉप में किया गया। सेकेंड लांचिंग पैड 84 मीटर ऊंचा है।

टाटा ने भी कई उपकरणों का निर्माण किया…
देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा ने जमशेदपुर की इकाई में कुछ उपकरणों का निर्माण किया था। मेकॉन के इंजीनियर श्री कुमार ने बताया कि मेकेनिकल, गैस्ट्रल, सिविल और टेक्निकल समेत कई काम थे। रांची की एचईसी ने भी कई उपकरणों का निर्माण किया और असेंबलिंग का भी काम किया। चेन्नई की कंपनी केटीवी, मुंबई की कंपनी गोदरेज के अलावा भी कई कंपनियों ने लांचिंग पैड के लिए उपकरण बनाये थे। कुछ इक्विपमेंट्स रूस और यूरोप से भी मंगवाये गये थे।

खूंटी के सोहन भी है चंद्रयान -3 का हिस्सा…
झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में रहने वाले सोहन यादव भी मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा थे। तोरपा प्रखंड के तपकरा ग्राम के सोहन यादव ऑर्बिटर इंटीग्रेशन और टेस्टिंग टीम का हिस्सा बने। सोहन यादव इसरो में काम कर रहे हैं और मिशन गगनयान से भी जुड़े थे।15 दिन पहले उन्होंने अपनी मां बात की थी तब उन्होंने बताया बताया था कि अब 15 दिन बाद चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के बाद ही उनकी बात होगी। चंद्रयान3 की सफलता के लिए सोहन की मां और भाई वैष्णो देवी गए है।