झारखंड की दो बेटियां पद्मश्री से नवाजी गईं..

Ranchi : झारखंड की दो बेटियों पूर्णिमा महतो और चामी मुर्मू को पद्मश्री से नवाजा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में दोनों को सम्मानित किया। जमशेदपुर की रहने वाली पूर्णिमा महतो राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच हैं। पूर्णिमा को प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वहीं, सरायकेला की रहनेवाली चामी मुर्मू को लेडी टार्जन कहा जाता है। वे 30 लाख से अधिक पेड़ लगा चुकी हैं। पूर्णिमा महतो का जन्म 15 अगस्त 1976 को झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में हुआ। उनकी तीरंदाजी यात्रा टाटा अकादमी से जुड़े एक संस्थान में प्रशिक्षण सत्र के साथ 10 वर्ष की उम्र में शुरू हुई थी। उस समय उनके पास घर में बना तीर-धनुष था। उन्हें परिवार का पूरा सहयोग मिला।

पूर्णिमा ने देश के नाम किए अनगिनत तीरंदाज..
टाटा तीरंदाजी अकादमी की कोच पूर्णिमा को 29 अगस्त, 2013 को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें द्रोणाचार्य के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बिरसानगर के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूर्णिमा ने अपनी जीवटता व जुनून से तीरंदाजी की दुनिया में अलग पहचान बनाई और पद्मश्री दीपिका कुमारी, जयंत तालुकदार और डोला बनर्जी जैसे अनगिनत तीरंदाज देश के नाम समर्पित किए।

लंदन ओलंपिक में भी भारतीय टीम के साथ रहीं..
2008 ओलंपिक तीरंदाजी टीम की कोच रही पूर्णिमा ने लंदन ओलंपिक में भी भारतीय टीम के साथ रहीं। 1992 में राज्य तीरंदाजी टीम में पहली बार उनका चयन हुआ। वह कई वर्षों तक राष्ट्रीय चैंपियन रहीं। 1993 में अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी की टीम स्पर्धा में पदक जीतने वाली पूर्णिमा ने 1994 में पुणे में आयोजित नेशनल गेम्स में छह स्वर्ण जीतकर तहलका मचा दिया। 1994 में आयोजित एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पूर्णिमा ने 1997 में सीनियर नेशनल में रिकार्ड के साथ दो स्वर्ण अपने नाम किए।

1998 से दे रहीं टाटा तीरंदाजी अकादमी में प्रशिक्षण..
1998 कामनवेल्थ गेम्स में रजत हासिल करने वाली बिरसानगर की इस बाला ने 1994 में टाटा तीरंदाजी अकादमी में प्रशिक्षण देना शुरू किया। 2005 में स्पेन में आयोजित भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। 2007 में सीनियर एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में पुरुष टीम ने स्वर्ण व महिला टीम ने कांस्य पर कब्जा जमाया। उधर, चामी, पेड़ों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुकी हैं।