धनबाद जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में सीबीआई ने अदालत को सौंपे सबूत..

जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम उत्तम आनंद की हत्या और हत्या में प्रयुक्त किए गए ऑटो की चोरी से संबंधित दोनों मामलों के तमाम सबूतों को सीबीआई ने मंगलवार को अदालत को सौंपा। एसडीजेएम अभिषेक श्रीवास्तव की अदालत ने एक दिन पहले ही सीबीआई को दोनों मामलों की केस डायरी समर्पित करने का निर्देश दिया था। अदालत के आदेश पर दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम मंगलवार को दोनों मामलों के सबूतों को अदालत को सौंप दिया। जज की मौत मामले के तमाम सबूत तथा केस डायरी को सीबीआई ने एक बड़े बैग में भर कर अदालत को सौंपा है, जबकि ऑटो चोरी के मामले के सबूत दो मोटी-मोटी फाइलों में बांध कर दिया गया है। जज हत्याकांड से जुड़ी फाइलें और कागजात का वजन इतना ज्यादा था कि इसे चार लोगों ने मिल कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। केस डायरी और सबूतों के अध्ययन के बाद इस मामले में संज्ञान और आरोप गठन की कार्रवाई होगी।

हाईकोर्ट सीबीआई से नाराज..
इससे पहले हत्या और साजिश का कारण नहीं तलाश करने पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा कि यह सीबीआई जैसी प्रोफेशनल जांच एजेंसी की विफलता ही मानी जाएगी। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि बिना साजिश और हत्या के कारणों को जाने ही हत्या के आरोप में चार्जशीट दायर करने से प्रतीत होता है कि सीबीआई काफी हड़बड़ी में है। कुल मिलाकर इस मामले में सीबीआई पहले दिन जिस स्थान पर थी आज भी वहीं है।

सीबीआई हर बार दो आरोपियों को पकड़े जाने और जांच जारी रखने का रटा-रटा जवाब दे रही है। सीबीआई एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी है। लेकिन इस मामले में जिस तरीके से जांच हो रही है वह इस जांच एजेंसी के पेशेवर होने पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। सीबीआई को अभी तक यह पता नहीं चल सका कि साजिश में कौन था। किसने साजिश रची और हत्या करने के पीछे क्या कारण था। एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। जांच के लिए जितना समय सीबीआई ने मांगा, कोर्ट ने दिया। लेकिन हर बार रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि जांच जारी है। इससे पुलिस और सीबीआई जांच में क्या फर्क रह गया है। एक प्रोफेसनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इतने बड़े केस का ऐसा हश्र होगा तो यह सिस्टम और हिन्दुस्तान के लिए बहुत दुखद होगा। क्योंकि सीबीआई पहले ही कह चुकी है की जज को जानबूझकर मारा गया है।

साजिशकर्ता को तलाशें..
कोर्ट इस बात को लेकर भी नाराज था कि बिना मोटिव के चार्जशीट दाखिल कर देने पर क्या सीबीआई निचली अदालत में इसे हत्या का मामला साबित कर पाएगी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला अब गैर इरादतन हत्या और एक्सीडेंट की ओर बढ़ रहा है। कोर्ट ने पूर्व में ही सीबीआई को आगाह किया था कि जल्द से जल्द इस मामले में शामिल षडयंत्र की कड़ी को ढूंढ़ें नहीं तो आरोपी अपने बचने का रास्ता निकाल सकते है। सीबीआई की जांच की कहानी इसी रास्ते पर है।