झारखंड के साहेबगंज जिले में गंगा नदी के पश्चिमी प्राणपुर घाट पर एक मृत डॉल्फिन पाई गई है| स्थानीय लोगों की नज़र जब उसपर पड़ी तो फौरन वन विभाग को इसकी सूचना दी गई| इसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और डॉल्फिन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा|
डीएफओ मनीष तिवारी ने बताया कि डॉल्फिन के शव को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसकी मौत लगभग एक हफ्ते पहले ही हो चुकी है| उन्होंने बताया कि शव बेहद सड़ी -गली अवस्था में मिली है| डीएफओ ने आशंका जताई है कि मछली मारने वाले जाल में फंसने से डॉल्फिन की मौत हुई है| जिसके बाद उसका शव कहीं से बहकर यहां गंगा घाट पर आया है| फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वजह की सही जानकारी मिल पाएगी।
आपको बता दें कि लगभग डेढ़ महीने में यह दूसरी घटना है जब राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन गंगा में मृत अवस्था में पाई गई है। इसे देखते हुए पर्यावरणविदों ने गहरी चिंता जताई है| आपको बता दें की विगत 18 दिसंबर, 2020 को भी राजमहल के कसवा गांव के पास गंगा नदी तट पर एक मृत डॉल्फिन पायी गई थी। अब तक उस डॉल्फिन की मृत्यु के कारणों का पता नहीं चल पाया है| ऐसे में ये दूसरी डॉल्फिन की मौत इनके संरक्षण पर सवाल खड़े कर रहा है| झारखंड के एक मात्र जिला साहेबगंज में बहने वाली गंगा में डॉल्फिन असुरक्षित होती जा रही है |
आपको बता दें कि डॉल्फिन के संरक्षण के लिए भारत में 2012 में ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ नामक कार्यक्रम शुरू किया गया था| इतने साल बीत जाने के बावजूद साहेबगंज की गंगा में डॉल्फिन को लेकर कोई सर्वे न होने से डॉल्फिन की संख्या का पता नहीं चल पाया | वहीं साहिबगंज के मिर्जा चौकी से फरक्का तक लगभग 91 किमी में फैली गंगा को डॉल्फिन अभयारण्य घोषित कर उसके संरक्षण की मांग लंबे समय से चल रही है |
माना जा रहा है कि इन दिनों गंगा में जिस तरह से मोटर बोट चल रहे हैं इससे डॉल्फिन पर असर पड़ रहा है| बोट से होने वाली ध्वनी, शोर-शराबे व अन्य मानवीय गतिविधियों से डॉल्फिन के विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है|
राष्ट्रीय जलीय जीव होने के कारण भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत डॉल्फिन का शिकार करने पर कम से कम सात साल की सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद आये दिन गंगा नदी के आस-पास डॉल्फिन के शिकार की खबरें आती रहती है। पता चला है कि डॉल्फिन वजन के अनुपात में बेची जाती है। वहीं इसकी कीमत 2200 से सात हजार तक होती है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ था जब राधानगर के शिकारपुर (बंगाल) के पास मछुआरे के जाल में एक डॉल्फिन मछली फंसी थी। तब मछुआरे द्वारा 20 किलो की डॉल्फिन को 2300 में बेचने की बात सामने आई थी।