झारखंड में भारत बंद का ये है हाल, विपक्षी दलों के साथ नक्सलियों का भी समर्थन..

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आह्वान पर भारत बंद के समर्थन में झारखंड के कई जिलों में प्रदर्शन हुआ है। झामुमो, कांग्रेस, राजद और वामदल समेत कई संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस बीच धनबाद में भाकपा माले समर्थकों ने पहाड़ी गोड़ा के पास सिंदरी-धनबाद पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया। बोकारो में बरवाअड्डा स्थित जीटी रोड के पास चौक को बंद समर्थकों ने जाम लगा दिया।

धनबाद के साहिबगंज में स्टेशन चौक पर रेलवे फाटक को बंद कर सड़क यातायात ठप कर दिया गया। पाकुड़ में भारत बंद के समर्थन में कांग्रेस, झामुमो, राजद सहित विपक्ष के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया।

जमशेदपुर के पूरे कोल्हान प्रमंडल में भारत बंद का असर देखा जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित भारत बंद के समर्थन में झामुमो और कांग्रेस नेता अपने समर्थकों के साथ बाजार में घूम-घूम कर दुकानें बंद करवा रहे हैं। सड़क पर जुलूस निकाल रहे हैं। जमशेदपुर के मरीन ड्राइव में लंबी दूरी की बसें रोके जाने के कारण कई बसें फंस गई हैं और यात्री परेशान हैं। घाटशिला, चाईबासा, चक्रधरपुर में भी बंद का असर देखा जा रहा है। लंबी दूरी की बसें नहीं चल रही हैं। दुकानें और बाजार बंद हैं। बंद समर्थक सुबह से ही सड़कों पर निकल आए हैं। वहीं देवघर जिले के चितरा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता की अगुवाई में नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर बंद का समर्थन किया। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी हुई।

बंद के दौरान शहरी इलाकों में पुलिस की टीम गश्त तो कर रही है लेकिन अतिरिक्त बल की तैनाती अभी तक नहीं की गई है। क्यूआरटी को अभी तक नहीं उतारा गया है। सामान्य तौर पर बंद के दौरान सुबह से ही क्यूआरटी और अन्य पुलिस बल की तैनाती रहती थी। इधर शहरी इलाकों में सायरन बजाकर गली मोहल्लों में पुलिस की टीम गश्त कर रही है।

भाकपा माओवादी ने कर रखा है भारत बंद का समर्थन..
प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी संगठन की इकाई नारी मुक्ति संघ की कोल्हान प्रमंडल की प्रवक्ता फूलो बोदरा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हमारा संगठन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद का पूर्ण समर्थन करता है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीन कृषि कानूनों से झारखंडी जनता खासकर आदिवासी किसान व महिलाएं गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। झारखंड के लैंड बैंक में पड़ी हजारों एकड़ भूमि उद्योगों में इस्तेमाल के बाद कॉरपोरेट खातों में ही तब्दील होगी। दूसरी ओर, कृषि उपजों की सार्वजनिक खरीद, भंडारण व वितरण खत्म होने से करोड़ों गरीब लोगों को सरकारी राशन दुकान से अनाज लेना पडेगा, तो उन्हें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होगी। खाद्यानों के वितरण पर सरकारी नियंत्रण खत्म होने के बाद बढ़ने वाली खाद्यानों की महंगाई से मध्यम वर्ग के पोषण पर भी प्रभाव पड़ेगा। झारखंड में जहां भूख से होने वाली मौत व महिलाओं व बच्चों में कुपोषण एक बहुत बड़ी समस्या है। यह कानून आकाल व महामारी की ही उद्घोषणा है। इन कानूनों से होने वाले आदिवासी किसानों का पलायन व बच्चियों व महिलाओं की तस्करी बढ़ेगी तथा रोटी के लिए झारखंडी किसानों को भारतीय शहरों व महानगरों में दर-दर भटकने व धक्का खाने पर मजबूर कर देगा। अतः नारी मुक्ति संघ, कोल्हान प्रमंडल इन तीन कृषि कानूनों का कड़ा विरोध करता है व इन्हें रद्द करने के लिए चल रहे किसान आंदोलन का भरपूर समर्थन करता है।