झारखंड में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही पंचायतों से जुड़े पुराने आदेश-निर्देश की समीक्षा भी नये सन्दर्भ में शुरू हो गई है। वहीं , यह साफ हुआ है कि ग्राम पंचायत मुखिया को यदि दोबारा चुनाव लड़ना है, तो उन्हें अपने पूरे कार्यकाल के खाता-बही का हिसाब सरकार को देना होगा। यदि कोई चूक हुई, तो वे दोबारा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यह आदेश गत तीस दिसंबर का है | लेकिन इसकी चर्चा ने अब जोर पकड़ा है।जानकारी के अनुसार, सिर्फ मुखिया ही नहीं बल्कि जिला परिषद अध्यक्ष और पंचायत समिति प्रमुख के संदर्भ में भी यह आदेश लागू होगा।
आपको बता दें कि झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो चुका है।हालांकि , कोविड-19 के वजह से समय पर चुनाव संभव नहीं हुआ | जिसकी वजह से फिलहाल फौरी व्यवस्था के तहत कार्यकारी समिति के जरिए ग्राम पंचायत चलाई जा रही है। वहीं , ग्रामीण विकास विभाग के पंचायती राज विभाग ने कार्यकाल पूरा कर चुके मुखिया, जिप अध्यक्ष और पंचायत समिति प्रमुख को अपने कार्यकाल का विस्तृत लेखा-जोखा देने का आदेश दिया है। इस बारे में सभी उपायुक्तों को पत्र जारी किया जा चुका है | जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि पूरे कार्यकाल के विकास कार्यों का लेखा-जोखा, बकाया और संबंधित प्रतिनिधियों के पास मौजूद सरकारी सामग्रियों को वापस करना अनिवार्य है। आपको बता दें कि जिला परिषद से संबंधित अभिलेख उपायुक्त, पंचायत समिति से संबंधित अभिलेख जिला पंचायत राज पदाधिकारी और मुखिया से संबंधित अभिलेख प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) को देना होगा। इसके लिए बकायदा एक फॉर्मेट जारी किया गया है। साथ ही ,ऐसा नहीं करने वालों पर आगामी चुनाव के वक्त अनिवार्य शपथ पत्र को अपूर्ण मानते हुए संबंधित अभ्यर्थियों और पदाधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है। इतना ही नहीं, सत्यापित कार्यों की जियो टैगिग भी कराई जाएगी।