जीरो बैलेंस पर अब तक 7 लाख 76 हजार 379 लोगों का खुला है खाता..

Jharkhand: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही प्रधानमंत्री जनधन योजना जीरो बैलेंस पर खुले खातों में फिलहाल 285.55 करोड़ रुपए जमा हो चूके।जिनका कभी बैंक में खाता नहीं था यह जमा राशि वैसे गरीब परिवारों की है। पहली बार खाता खुला तो बैंकों में उनका लेन-देन भी बढ़ा। यह मजबूत होती ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संकेत है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आ रही समृद्धि का आलम यह है कि कुछ दिनों से जीरो बैलेंस वाले खातों में भी कमी देखी जा रही है गढ़वा जिला में जीरो बैलेंस जन-धन योजना के तहत 8 लाख लोगों ने अपना खाता खुलवाया था। अब उनमें जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या घटकर महज 7.66 प्रतिशत ही रह गई है।

7 लाख 76 हजार 379 खाते खुले …
अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना की हुई शुरूआत में योजनांतर्गत जीरो बैलेंस पर सात लाख 76 हजार 379 खाते खोले गए। इनमें ग्रामीण क्षेत्र के 6 लाख 2 हजार 413 और शहरी क्षेत्र के एक लाख 49 हजार 861 जनधन खाते शामिल हैं। महिलाएं दजनधन खाता खुलवाने में आगे रहीं। नौ सालों में चार लाख 15 हजार 239 महिलाओं ने योजना शुरू करने से लेकर अबतक कुल जनधन खाता खुलवाया। वहीं विभिन्न बैंकों में तीन लाख 61 हजार 82 पुरूषों के जनधन खाता खुले।

7.66 प्रतिशत ही रह गए खाते…
जीरो बैलेंस के खातों में वित्तीय लेनदेन बढ़ने की वजह से प्रधानमंत्री जन धन योजनांतर्गत खोले गए खातों कमी आई है। जीरो बैलेंस पर 7 लाख 76 हजार 379 लोगों का खाता खोला गया था। जो घट कर जिलेभर में महज 7.66 प्रतिशत ही रह गया है। उनमें अब महज 59 हजार 497 खाता ही जीरो बैलेंस का खाता रह गया है।

दो लाख लोग कर रहे रुपे कार्ड का इस्तेमाल…
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाता खुलवाने के बाद पांच लाख से ज्यादा लोगों को बैंकों की ओर से रूपे कार्ड दिया गया। लोग रुपे कार्ड लेने में भी पीछे नहीं रहे। उनमें 2 लाख 16 हजार 526 लोग कार्ड का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं। उधर मेराल प्रखंड अंतर्गत दलेली गांव निवासी प्रतिमा देवी बताती हैं कि परिवार के भरणपोषण के लिए पति चेन्नई में मजदूरी करते हैं। घर में खेती बाड़ी भी बहुत कम होती है उन्होंने जनधन योजना के तहत खाता खुलवाया था। उसके बाद से जनधन खाते से ही लेनदेन कर रही थी। पिछले छह महीने से वह जनधन खाते से लेनदेन नहीं कर पा रही है। पति गांव के ही एक युवक के खाते में रुपये भेज देते हैं। युवक प्रति हजार 10 रुपये के हिसाब से काटकर बाकी रुपये उसे दे देता है।

23 प्रतिशत लोगों का ही बैंक में खाता…
लीड बैंक के पूर्व वित्तीय सलाहकार अमरेंद्र सिन्हा कहना है कि 23 प्रतिशत लोगों का ही बैंक में खाता था। इससे वित्तीय समावेशन में बाधा आ रही थी। जनधन खाता खुलने से क्रांतिकारी बदलाव आया है। पहले बैंकों तक लोगों की पहुंच नहीं थी । इससे वित्तीय समावेशन संभव हो पा रहा है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन सहित अन्य योजना मद की राशि भी खाते में जमा हो रही है। जनधन खाता के कारण गरीबों को माइक्रो इंश्योरेंस का लाभ मिला। खाताधारक को 20 रुपये सालाना जमा करने पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा का लाभ मिलेगा। वहीं खाता खुल जाने से खाताधारक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का का लाभ, अटल पेंशन योजना जैसे महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ भी ले पा रहे हैं। पहले बैंक भी गरीबों का खाता खोलने में कोताही करते थे। जनधन खाता छह महीना तक ठीक से चला तो 10 हजार रुपये की राशि रोजगार के लिए खाताधारक को मिलती है।