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शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी देना पड़ा भारी, 16 CRP हटेंगे..

रांची: उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों को लेकर जामताड़ा हाल ही में चर्चा का विषय बना हुआ था. जामताड़ा और आस-पास के प्रखंडों में जुमे की नमाज को लेकर हिन्दी विद्यालयों में उर्दू विद्यालयों की तरह अवकाश दिए जा रहे थे. इस मामले को संज्ञान में लेते हुए शिक्षा विभाग की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है. आपको बता दें कि जामताड़ा, नारायणपुर व करमाटांड़ प्रखंड के सरकारी विद्यालयों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दी जा रही थी. जिसकी जांच करने के बाद शिक्षा विभाग ने 16 सीआरपी को सेवा मुक्त करने का फैसला लिया है.

किस प्रखंड से कितने CRP होंगे सेवामुक्त..
इनमें जामताड़ा प्रखंड के दो, नारायणपुर प्रखंड के आठ व करमाटांड़ प्रखंड के 06 सीआरपी शामिल है. इन सभी सीआरपी को सेवा मुक्त करने की अनुशंसा जामताड़ा के जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला शिक्षा अधीक्षक अभय शंकर ने उपायुक्त सह जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष को भेजी है.

16 CRP पर क्या है आरोप..
16 CRP पर आरोप है कि खुद से घोषित किए गए उर्दू विद्यालयों के संबंध में डीएसई व बीईईओ कार्यालय को कोई भी जानकारी नहीं सौंपी गई थी. इसे शिक्षा विभाग ने घोर लापरवाही माना है.

शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारीयों पर कार्रवाई होना तय..
इतना ही नहीं शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारीयों पर भी घोर लापरवाही बरतने के आरोप कार्रवाई होनी तय है. नारायणपुर के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कैलाशपति पातर, जामताड़ा के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी दीपक राम व करमाटांड़ के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी बंशीधर राम के विरुद्ध भी कार्रवाई के लिए पत्राचार प्राथमिक शिक्षा निदेशक रांची को सौंपा गया है.

शिक्षा पदाधिकारी का दावा, सामान्य तरीके से चल रहे स्कूल..
जैसा की ज्ञात है हाल ही में जामताड़ा व आसपास के प्रखंडों के कई विद्यालयों से उर्दू शब्द मिटाने का वीडियो भी सामने आ चुका है. शिक्षा पदाधिकारी ने इस संबंध में दावा भी किया है कि अब किसी भी स्कूल में उर्दू लिखा शब्द नहीं है. विद्यालयों का संचालन बिल्कुल सामान्य तरीके से हो रहा है तथा अवकाश शुक्रवार के जगह रविवार को पहले की तरह दी जा रही है.

47 हिंदी विद्यालयों का संचालन उर्दू स्कूल की तरह..
गौरतलब है कि करीब जामताड़ा, करमाटांड़ व नारायणपुर प्रखंड के 47 हिंदी विद्यालयों का संचालन उर्दू स्कूल की तरह किया जा रहा था. यहां सप्ताहिक छुट्टी में भी बदलाव करने का मामला सामने आया था. तथा कई स्कूलों में हाथ जोड़ने के बजाए हाथ बांधकर भी प्रार्थना करने का मामला भी काफी चर्चा में रहा था.