रिम्स में नहीं है गैस्ट्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग..

Jhupdate: सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा झारखंड राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स में गैस्ट्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी (हार्मोनल डिसऑर्डर) और हेमेटोलॉजी विभाग नहीं होने के कारण से जुड़े बीमारियों के मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीज को इसके इलाज के लिए निजी अस्पतालों का चक्कर काटना पड़ रहा है। जिन मरीजों की आर्थिक स्थिति निजी अस्पतालों में इलाज करने लायक नहीं है। उन्हें शारीरिक काष्टो के साथ-साथ आर्थिक काष्टो का भी सामना करना पड़ रहा है।

निजी अस्पतालों में है खर्च…
जिन निजी अस्पतालों में इन बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम है। वहीं, विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपना क्लिनिक भी खोल रखा है। 1000 से 1500 रुपये तक कंसल्टेंसी फी देने के बाद निजी अस्पतालों में डॉक्टर मरीजो को परामर्श देते है। निजी अस्पताल और क्लिनिक में जांच करने में मरीजों को तीन से पांच हजार रुपये तक का खर्च हो जाता है। इधर, रिम्स में यह सुविधा मौजूद होने पर मरीजों को ओपीडी में पांच रुपये में परामर्श मिल जाता। वहीं, रिम्स में जांच की पूरी सुविधा उपलब्ध करने में मामूली खर्च आता है।

क्या के होते है टेस्ट…
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी पाचन तंत्र की बीमारियों और विकारों का उपचार है, जिसमें पेट, अन्नप्रणाली, छोटी आंत, अग्न्याशय, बड़ी आंत, यकृत और पित्ताशय शामिल हैं।, एंडोक्रिनोलॉजी थायरॉयड विकारों के अध्ययन और उपचार से संबंधित है, जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म और थायरॉयड कैंसर। और चिकित्सकों या वैज्ञानिक जो सामान्य रूप से रक्त का अध्ययन करते है। इसे हेमेटोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है।

नहीं मिल रही पद स्वीकृत ….
स्वास्थ्य विभाग को रिम्स में गैस्ट्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग खोलने का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है, लेकिन इसका पद अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है. पद स्वीकृत नहीं होने के कारण रिम्स द्वारा गैस्ट्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभागों के लिए आवेदन नहीं निकाला जाता है।

खुल सकते हैं विभाग…
स्वास्थ्य विभाग को भेजे गए प्रस्ताव कि पद स्वीकृत की आशा की जा रही है । रिम्स में नयी ओपीडी बिल्डिंग बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा पद स्वीकृत मिलने के बाद गैस्ट्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग शुरू किया जा सकता है।