बेरमो: झारखंड के बोकारो जिले के बेरमो के लाल जयप्रकाश कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सम्मानित किया है। सेना मेडल प्राप्त जयप्रकाश डोगरा रेजिमेंट की नौवीं बटालियन के लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, जो माउंट एवरेस्ट की 8,848 मीटर ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने सहित देश-विदेश की 38 पर्वत शृंखलाओं को फतह कर चुके हैं। राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में उन्हें राष्ट्रपति ने तेनजिंग नोर्गे ने राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार प्रदान किया। लेफ्टिनेंट कर्नल जयप्रकाश बोकारो जिला के बेरमो कोयलांचल अंतर्गत फुसरो नगर स्थित ढोरी बस्ती निवासी दयानंद प्रसाद एवं रामकली देवी के पुत्र हैं। उन्हें यह पुरस्कार विश्व की सबसे ऊंची पर्वत शृंखला माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए दिया गया है। उन्होंने माउंट एवरेस्ट अभियान 16 मई-2019 को पूरा किया था। इसलिए पर्वतारोहण जैसे साहसिक अभियान पूरा करने के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार के लिए उन्हें चयनित किया था, जिसे राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किए जाने के क्रम में अन्य अतिथियों के साथ ही जयप्रकाश की मां कमली देवी व पिता दयानंद प्रसाद भी उपस्थित थे।
भारतीय सैन्य अकादमी से वर्ष-2004 में जुड़े
जयप्रकाश ने प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया से प्राप्त करने के बाद वर्ष-2003 में मगध यूनिवर्सिटी बोधगया से स्नातक की डिग्री पाई। उसके बाद वर्ष-2004 में भारतीय सैन्य अकादमी से जुड़े। वर्ष-2005 में डोगरा रेजिमेंट की नौवीं बटालियान में लेफ्टिनेंट के पद पर इन्फैंटी कमीशन पाया। तब से अबतक लगभग 16 वर्ष की सेवा अवधि में जम्मू-कश्मीर, सियाचिन, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश व नई दिल्ली में कार्य कर चुके। पर्वतारोहण के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें सेना प्रमुख प्रशस्तिपत्र-2015, डीजी एनएसजी प्रशस्ति डिस्क व रोल-2017, थल सेनाध्यक्ष प्रशस्तिपत्र-2018, एनएसजी कमेंडेशन रोल-2019 एवं सेना पदक-2021 से सम्मानित किया जा चुका है।
2009 से शुरू किया पर्वतारोहण
लेफ्टिनेंट कर्नल जयप्रकाश कुमार ने वर्ष- 2009 से पर्वतारोहण शुरू किया। उन्होंने 8000 मीटर से अधिक ऊंचाई की एक, 7000 मीटर की पांच और 5000 से 6000 मीटर से अधिक ऊंची 32 पर्वत शृंखलाओं को फतह किया। उन पर्वत शृंखलाओं में हिमालय, काराकोरम, जांस्कर व लद्दाख पर्वतमाला शामिल हैं। वहीं, वर्ष-2010 में उन्होंने खजाकिस्तान सेना की टीम और 2013 में पोलैंड सेना की टीम के साथ भारतीय सेना के संयुक्त पर्वतारोहण अभियान का नेतृत्व किया था, जबकि 18 सितंबर-2021 को डोगरा स्काउट टीम का नेतृत्व कर उत्तराखंड स्थित माउंट सतोपंथ की 7075 मीटर की चढ़ाई पूरी की। उसके बाद 19 सितंबर-2021 को सुंदर बमक ग्लेशियर से उन्होंने भारतीय सेना के लापता पर्वतारोही नाइक अमरीश त्यागी के पार्थिव शरीर को खोज निकाला था, जो 16 वर्ष पूर्व पर्वतारोहण के क्रम में गुम हो गए थे। वहीं, अक्तूबर-2021 में उन्होंने उत्तराखंड के ही माउंट त्रिशूल की 7120 मीटर ऊंचाई पर नौसेना के पर्वतारोही दल के एक लापता सदस्य के मृत शरीर को खोज निकालने का अभियान पूरा किया था।