वैट दर कम करने की मांग को लेकर झारखंड में आज बंद रहे पेट्रोल पंप, हुई परेशानी..

झारखंड सरकार द्वारा अवैध घोष‍ित क‍िए जाने के बावजूद आज झारखंड के हर ज‍िले में पेट्रोल पंप हड़ताल पर रहे। 12 घंटे की इस हड़ताल के कारण 55 करोड़ से अध‍िक का कारोबार प्रभाव‍ित हुआ है। यह दावा झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (जेपीडीए) ने क‍िया है। जेपीडीए ने 03 दिसंबर को झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को ज्ञापन देकर झारखंड में डीजल पर वैट की दर 22 प्रत‍िशत से घटाकर 17 प्रतिशत करने की मांग की गई थी। इसके अलावा डीजल और पेट्रोल मद में सरकारी बकाया भुगतान करने तथा बायो डीजल में मिलावट रोकने के ल‍िए ठोस पहल करने की मांग की गई थी। इस मांग पर व‍िचार नहीं होने से नाराज जेपीडीए ने हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी और आज पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत हड़ताल सुबह छह बजे शुरू हुई जो की शाम छह बजे तक जारी रही।

सरकार को वैट मद में 10.5 करोड़ का नुकसान..
इस हड़ताल से झारखंड में जहां 55 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है। लगभग 58 लाख लीटर पेट्रोल और डीजल की बिक्री प्रभावित होने की बात कही गई है। पेट्रोल 21 लाख लीटर और डीजल 37 लाख लीटर बिक्री नहीं होने का दावा क‍िया गया है। इस हड़ताल से झारखंड सरकार को वैट मद में 10.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

इस हड़ताल में झारखंड में लगभग 1400 पेट्रोल पंप बंद रहे। वहीं, रांची जिले में 125 से अधिक पेट्रोल पंप हड़ताल पर रहे। लालपुर चौक, डोरंडा, कोकर, करमटोली, सीरोमटोली, कांटाटोली, बूटी मोड़, बिरसा मुंडा चौक सहित रांची के ज्यादातर पेट्रोल पंप शाम छह बजे तक बंद रहे। तुपुदाना, दलादली, सिल्ली, बुंडू, रिंग रोड, ओरमांझी, नामकुम आदि स्थानों पर पेट्रोल पंप बंद रहे। ज्यादातर पंपों पर नो परचेज-नो सेल का स्टीकर साट द‍िया गया था। इस दौरान रांची में कडरू, कचहरी रोड, कोकर चौक, टोल प्लाजा स्थित ओरमांझी पेट्रोल पंप के अलावा सरकार की ओर से संचालित अन्य पेट्रोप पंप खुले रहे। मिल्क वैन, एंबुलेंस सहित अन्य आपातकालीन सेवाओं को बंद से अलग रखा गया था।

सुन‍िए क्‍या कह रहे एसोस‍िएशन के पदाध‍िकारी..
झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (JPDA) के महासचिव शरद दुदानी ने कहा कि हड़ताल को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली क्योंकि राज्य के सभी पट्रोल पंप सुबह से बंद थे। उन्होंने कहा कि हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। क्योंकि पेट्रोल और डीजल पर वैट को मौजूदा 22 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत करने की हमारी मांग के साथ-साथ सरकारी संस्थानों के बकाया की निकासी पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में कई पेट्रोल पंप, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे स्थित, घाटे में चल रहे थे। क्योंकि झारखंड में डीजल और पेट्रोल पड़ोसी बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और यूपी की तुलना में महंगा था।

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