जब 2 साल की मासूम की मौत के बाद मां ने कहा- बच्ची के आंखों को दान कर उसे रखेंगी जिंदा..

रांची : आमतौर पर घर में किसी की मौत हो जाए तो परिवार वाले टूट कर बिखर जाते है. खासकर जब बात हो घर के किसी मासूम की. लेकिन, गुमला के एक दम्पति ने जो करके दिखाया है उसे दिल से सलाम तो बनता है. दरअसल, उनकी दो वर्ष की बच्ची की मौत हो जाती है. और वे मानवता का भलाई हेतु अपनी मृत बच्ची की दोनों आंखों को दान कर देते है.

आपको बता दें कि गुमला की रहने वाली दो साल की वंशिका इस दुनिया में नहीं है. उसके माता-पिता सुलेखा पन्ना और चंद्रप्रकाश ने आपसी सलाह से बेटी की आंखों को दूसरे को दान कर दिए है. गुमला के एक बैंक में कार्यरत सुलेखा कहती हैं कि बेटी का नेत्रदान करके हमें संतोष हुआ है. क्योंकि इसी बहाने मुझे उसे जिंदा रखने का एक और मौका मिला है. जिसे भी ये आंखें दान की जायेंगी उसमें मैं अपनी बेटी को ढूंढ पाऊंगी. इससे दो और लोगों की दुनिया रौशन होने वाली है.

गौरतलब है कि रांची में दंपत्ति ने अपनी 2 साल की बेटी का नेत्रदान किया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई अपनी दो साल की बच्ची का नेत्रदान किया हो. आपको बता दें कि अंगदान/नेत्रदान के लिए हजारों सामाजिक संस्थाएं लगातार काम कर रही है. बावजूद इसके लोग सामने नहीं आते है. ऐसे में गुमला दंपत्ती के अदम्‍य साहस से लोगों को प्रेरित होना चाहिए. इससे न आपके अपने के अंग जीवित रहेंगे बल्कि दूसरों का घर भी रौशन हो सकता है.

कैसे हुई थी बच्ची की मौत..
शुक्रवार शाम गुमला स्थित घर में ही बच्ची वंशिका की चोट लगने से मौत हो गई थी. परिजन जबतक उसे गुमला से रांची लाते तब तक उसकी मौत हो गई थी. प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक व आई मेमोरियल की डायरेक्टर डॉ भारती कश्यप की मानें तो उनके अस्पताल में पहली बार ऐसा हुआ है जब कोई अपने मृत बच्चे का नेत्रदान करने पहुंचे हो.

आपको बता दें कि बच्ची की कॉर्निया को अस्पताल में सुरक्षित रख दिया गया है. इनमें से एक कॉर्निया का प्रत्यारोपण आयुष्मान योजना के तहत किया गया है. जिसे एक बच्चे में प्रत्यारोपित भी करने की सूचना है. वहीं, दूसरा कश्यप अस्पताल में ही सुरक्षित है.