सीएम ने केंद्र सरकार को घेरा, बोले- कोरोना महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित न करना समझ से परे..

केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी लामबंदी के लिए बुलाई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बैठक में देश की 19 पार्टियां जुटीं। शुक्रवार शाम हुई वर्चुअल बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी कर 20 से 30 सितंबर तक देशभर में साझा आंदोलन करने की घोषणा की गई। इसका प्रारूप दलों की राज्य इकाइयां तय करेंगी। बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मार्क्सवादी महासचिव सीताराम येचुरी भी शामिल हुए। साझा बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लाेगाें की परेशानियाें का काेई जिक्र नहीं था। यह सीधी चेतावनी है कि लाेगाें का जीवन इसी तरह बदहाल बना रहेगा।’ साथ ही 11 बिंदु का मांग पत्र जारी किया। इसमें लाेगाें से लाेकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और गणराज्य व्यवस्था काे बचाने के लिए आगे आने की अपील की गई है। वहीं, भाजपा ने कहा कि विपक्षी एकता की बात कर कांग्रेस ने साफ कर दिया कि उसने खुद हार मान ली।

वहीं बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मांग रखी कि कोरोना महामारी को भारत सरकार नेशनल डिजास्टर घोषित करे। इतनी बड़ी आपदा को केंद्र सरकार अबतक राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं कर रही है, यह बात समझ से परे है। हम सभी को इसकी मांग करनी चाहिए। इस महामारी में जितने लोगों की जानें गई हैं, उन्हें केंद्र सरकार मुआवजा दे। जिन लोगों ने जीवन बचाने के लिए जमीन-जायदाद, गहने इत्यादि बेचकर इलाज कराया है, उनके जीवन-यापन के लिए एक रुपया भी नहीं बचा है। उनका आने वाला भविष्य कैसे सुरक्षित हो, यह चिंतनीय विषय है।

हेमंत ने कहा कि केंद्र सरकार देश में लोकतंत्र का चीरहरण कर रही है। जनता को गुमराह करने पर लगी है। सत्र में सांसदों की बातों को नजरअंदाज करना लोकतंत्र के लिए घातक है। ऐसे में विपक्षी एकता को और ताकतवर बनाने की जरूरत है। उन्होंने सभी दलों से ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की। सीएम ने कहा कि सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि ज्वलंत मुद्दों के साथ केंद्र सरकार को घेरने की आवश्यकता है। पेगासस मुद्दे से मजदूरों और किसानों को कोई लेना देना नहीं है, बल्कि किसान नीति, मजदूरों को रोजगार और नौजवानों को नौकरी तथा स्वरोजगार जैसी मुद्दों के साथ विपक्ष को गोलबंद होकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। उन्होंने आगे भी ऐसी बैठकों के आयोजन की मांग की।