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आरक्षण मामलाः बिहार से झारखंड आए कर्मियों को मिलेगा आरक्षण का लाभ..

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा है कि झारखंड बनने के बाद जिन कर्मचारियों को झारखंड कैडर मिला है। वह आरक्षण के हकदार होंगे। ऐसे कर्मचारियों को सीमित और विभागीय परीक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने फैसले में कहा है कि किसी राज्य का विभाजन कर नया राज्य बनता है तो वे उसी राज्य के निवासी माने जाएंगे जिसमें वह सेवा दे रहे हैं। भले ही स्थायी निवास पुराना हो।

अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें विभाजन के बाद झारखंड में पदस्थापित कर्मचारी को आरक्षण देने से इनकार कर दिया था। फैसले के खिलाफ पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। कोर्ट ने कहा कि मामले में देखना चाहिए कि कर्मचारी ने झारखंड कैडर चुना था । एक्ट के अनुसार ऐसे लोगों को आरक्षण समेत सभी सुविधाएं वही रहेंगी जो अविभाजित बिहार में थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पूर्व में संविधान पीठ ने तय किया है कि दूसरे राज्य के लोग आरक्षण के हकदार नहीं होंगे पर पंकज का मामला ऐसा नहीं है । वह कानूनन पूरी सेवा शर्त के साथ – झारखंड में आए हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुसूचित जाति के सदस्य पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2007 में उन्हें इस आधार पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था कि उनका पता दिखाता है कि वह बिहार के पटना के स्थायी निवासी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 24 फरवरी 2020 काे झारखंड हाईकोर्ट का फैसला कानून में अव्यावहारिक है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। पीठ ने कहा कि सिद्धांत के आधार पर हम अल्पमत फैसले से भी सहमत नहीं हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि व्यक्ति बिहार या झारखंड दोनों में से किसी एक राज्य में आरक्षण के लाभ का हकदार है, लेकिन दोनों राज्यों में एक साथ आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है और अगर इसे अनुमति दी जाती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 341 (1) और 342 (1) के प्रावधानों का उल्लंघन होगा।

सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से झारखंड हाईकोर्ट के बहुमत के फैसले का समर्थन करते हुए बताया गया कि दूसरे राज्य के मूल निवासियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। वादी पंकज कुमार के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति बिहार या झारखंड किसी भी राज्य में लाभ का दावा कर सकता है लेकिन नवंबर 2000 में पुनर्गठन के बाद दोनों राज्यों में एक साथ लाभ का दावा नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार के निवासी आरक्षित श्रेणी के सदस्यों के साथ झारखंड में सभी वर्गों के लिए आयोजित चयन प्रक्रिया में प्रवासी के तौर पर व्यवहार किए जाएंगे और वे आरक्षण के लाभ का दावा किए बगैर उसमें शामिल हो सकते हैं। दरअसल, वादी अनुसूचित जाति के सदस्य पंकज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। राज्य सिविल सेवा परीक्षा चयन होने के बाद भी उन्हें इस आधार पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था कि वह बिहार के पटना के स्थायी निवासी हैं।