चुनाव नहीं कराना संविधान की मूल अवधारणा का है हनन: अधिवक्ता विनोद सिंह..

Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के भीतर राज्य में नगर निकायों के चुनाव की तारीखों का ऐलान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए यह आदेश दिया है कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखने पर संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन किया जा रहा है। राज्य सरकार जल्द से जल्द चुनाव की तारीख सुनिश्चित कर ऐलान करे। साथ ही स्थानीय शहरी निकायों का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी चुनाव को सरकार द्वारा रोके जाने के खिलाफ रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

अप्रैल में होने थे चुनाव….
सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार बीते अप्रैल महीने में ही राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। राज्य सरकार ने इसके पीछे की वजह यह बताई है कि नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है।

ओबीसी आरक्षण के कारण बाधित है चुनाव……
अब तक इस ओबीसी कमीशन में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण ओबीसी आरक्षण प्रतिशत का निर्धारण नहीं हो पा रहा है। ओबीसी आरक्षण के प्रतिशत का निर्धारण ओबीसी कमीशन के जरिए किया जाना है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

चुनाव नहीं कराना संविधान की मूल अवधारणा का है हनन……
इस पर याचिकाकर्ता रोशनी खलखो के अधिवक्ता विनोद सिंह ने अपनी दलील में कहा कि सरकार आधा-अधूरा जवाब देकर कोर्ट को दिग्भ्रमित कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले में स्पष्ट आदेश दिया है कि ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय या पंचायत चुनाव कराए जाने चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चुनाव ही नहीं कराए जाएं। किसी भी परिस्थिति में चुनाव नहीं कराना संविधान की मूल अवधारणा का हनन है। ओबीसी आरक्षण तय कर चुनाव कराना एक प्रक्रिया है, लेकिन इसे आधार बनाकर चुनाव नहीं कराना गलत है।

तीन हफ्ते में कराई चुनाव……
चुनाव को किसी भी हाल में नहीं रोकने का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जस्टिस आनंद सेन को तीन हफ्ते के अंदर चुनाव का नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही याचिका निष्पादित कर दी गई है।