झारखण्ड : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वैध-अवैध तरीके से पत्थर खदान का संचालन के बाद एक बड़ी कार्रवाई की है। एनजीटी की प्रधान बेंच, नई दिल्ली ने दुमका के 217 कारोबारियों पर 413.44 करोड़ और पाकुड़ के 250 व्यवसायियों पर 725 करोड़ रुपए का जुरमाना लगाया है। इस जुरमाना का कारण था पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का मामला। एनजीटी के आदेश पर दुमका जिला प्रशासन द्वारा संबंधित व्यवसायियों को रजिस्ट्री से नोटिस भेजा गया। सभी संबंधित व्यवसायियों को नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर-अंदर जुर्माना की राशि को जमा करने का आदेश है। वही, दूसरी तरफ व्यवसायी जुर्माना की रकम जमा करने के बजाय आदेश के खिलाफ कोर्ट जाने के फिराक में हैं। इसी विषय पर बुधवार को व्यवसायियों की बैठक भी हुई।
कब से हुई मामले की शुरुआत
दरअसल, अवैध खनन कर पर्यावरण काे नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए वीरभूम जिला के रामचंद्र मार्डी ने 2015 में एनजीटी कोलकाता में मुकदमा दायर किया था। सुनवाई के दौरान प. बंंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने झारखंड के दुमका और पाकुड़ में खनन पर आरोप मध् दिया था। इसके बाद 2018 में बंगाल के अधिकारी दुमका आकर जानकारी इकठ्ठा कर के एनजीटी को सौंपी थी। इसी रिपोर्ट पर एनजीटी ने मामले की सुनवाई को देश के दूसरे मामलों के साथ जोड़ नई दिल्ली भेज दिया था।
दुमका, जिला खनन पदाधिकारी, दिलीप तांती ने कहा कि एनजीटी के आदेश पर दुमका जिले के 217 पत्थर कारोबारियों को रजिस्ट्री डाक से नोटिस भेज दिया गया है। हर्जाने की राशि प्राप्त करने के लिए कार्रवाई की जा रही है।