नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे चार वाहन फूंके, दिनदहाड़े वारदात को दिया अंजाम..

पश्चिमी सिंहभूम जिले के टोकलो थाना क्षेत्र के लांजी क्षेत्र में बुधवार को नक्सलियों ने फिर तांडव मचाया। दड़कादा गांव के समीप सड़क निर्माण कार्य में लगे चार वाहनों को नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया। घटना बुधवार दोपहर करीब तीन बजे की बताई जा रही है। भारी संख्या में भाकपा माओवादियों के दस्ते ने ठेकेदार के स्टॉक के पास पहुंचकर वाहनों को फूंक दिया। घटना के बाद स्टॉक स्थल (ठेकेदार का कैंप) पर वीरानी छाई हुई है।

नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे एक हाईवा, एक जेसीबी तथा दो ट्रैक्टरों को आग के हवाले किया है। प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक बुधवार को दिन के करीब तीन बजे 40-50 की संख्या में वर्दीधारी नक्सली पहाड़ी से ठेकेदार द्वारा बनाये गये स्टॉक स्थल पर पहुंचे। यहां नक्सलियों को देखते ही मौजूद लोग जान बचाकर भाग खड़े हुए। इसके बाद नक्सलियों ने वाहनों से ही तेल निकाला और इसके बाद सभी वाहनों पर छिड़कर आग लगा दी। आग लगाने के बाद नक्सली फिर पहाड़ी की ओर भाग खड़े हुए।

रांची का संवेदक करा रहा लांजी में सड़क निर्माण..
पिछले तीन माह से रांची के संवेदक नीरज सिंह द्वारा होयोहातु-बाईडीह टोला से लांजी पहाड़ी तक सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। संवेदक द्वारा बाईडीह टोला से लांजी पहाड़ी के कुछ हिस्से तक पक्की एवं पीसीसी सड़क बनाई जा रही है। लांजी में हुई घटना के बाद ठेकेदार द्वारा कुछ दिनों तक काम बंद करा दिया गया था, लेकिन अब फिर काम शुरू किया गया है।

घटनास्थल पर पड़े थे खटिया और बिस्तर..
ठेकेदार के स्टॉक स्थल पर खटिया एवं बिस्तर पड़े हुए थे। बताया जा रहा है कि मुंशी सामग्री की देखरेख करता है, लेकिन घटना के बाद से कोई भी व्यक्ति वहां पर मौजूद नहीं था और चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था।

पुलिस बरत रही सतर्कता..
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस-प्रशासन आगे की कार्रवाई में जुट गया है। चूंकि, लांजी नक्सल प्रभावित इलाका है और नक्सलियों द्वारा पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए इस इलाके में कई जगहों पर लैंडमाइन पहले भी लगाई जा चुकी है, जिस कारण पुलिस घटनास्थल पर जाने से पहले सतर्कता बरत रही है, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। इधर, नक्सलियों द्वारा वाहन जलाये जाने के बाद झरझरा हाट, होयोहातु, बाईडीह आदि गांवों के ग्रामीणों में दहशत दिख रही थी। ग्रामीण हर आने-जाने वाले लोगों की ओर खौफ की नजर से देख रहे थे, लेकिन कोई भी कुछ बोलने से बच रहा था। घटनास्थल तक जाने का भी ग्रामीण साहस नहीं जुटा पा रहे थे।

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