शनिवार, 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। एक महीने पहले शुरू हुआ मलमास भी 16 अक्टूबर को खत्म हो जाएगा। इसी के साथ, नवरात्र के पहले दिन से कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक चलने वाली देवी की आराधना शुरू हो जाएगी। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष ज्यादातर लोग अपने घर पर कलश स्थापना कर नवरात्रि की पूजा करेंगे। शहर में भी इस बार थीम आधारित पूजा पंडाल का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में दुर्गा पूजा को लेकर युवा वर्ग में उत्साह कम नजर आ रहा है।
मान्यताओं के मुताबिक शनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण, मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी। नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन, भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में देखा जाता है।
नवरात्रि के शुरू होते ही शुभ कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। वहीं, मलमास में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। हालांकि, शादी – विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से है। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त पहले दिन के सुबह 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक है। इसके लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
कलश स्थापना की विधि..
- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर, मंदिर की साफ-सफाई कर लें।
- पूजा शुरू करते हुए सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
- तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांध दें।
- लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंद गंगाजल मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
इसके बाद, कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। - फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें और उसे कलश के ऊपर रख दें।
- इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें जौ बोएं हैं।
- कलश स्थापना करने के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।
जानें नवरात्रि की तिथियां..
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार)- द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- तृतीय मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)- चतुर्थी मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)- पंचमी मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- सप्तमी मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- अष्टमी मां महागौरी, दुर्गा महा नवमी, पूजा दुर्गा, महा अष्टमी पूजा
25 अक्टूबर 2020 (रविवार)- नवमी मां सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारणा, विजयादशमी
26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- दुर्गा विसर्जन