महापर्व छठ पूजा 18 नवंबर यानि कल से शुरू है। चार दिनों तक मनाया जाने वाला लोक आस्था का यह महापर्व की शुरुआत कल नाहाय-खाए से होगी। इसी के साथ, व्रतियों का नियम-निष्ठा भी शुरू हो जाएगा। अगले चार दिनों तक सभी व्रती पूर्ण रूप से सात्विक रहन-सहन में रहेंगे। 19 नवंबर को महापर्व छठ का दूसरा दिन यानि खरना मनाया जाएगा। संध्या के समय खरना अनुष्ठान के बाद ही निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
20 नवंबर को होगा पहला अर्घ्य यानि अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। फिर 21 नवंबर को दूसरा अर्घ्य यानि उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसी के साथ चार दिनों का महापर्व संपन्न हो जाएगा।
महापर्व छठ को महाभारत पर्व भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल के समय से ही छत पर्व मनाने की परम्परा रही है। कुंति-सूर्य पुत्र कर्ण प्रतिदिन लम्बे समय कमर तक जल में खड़े हो सूर्यदेव की आराधना करते थे और अर्घ्य देते थे। वहीँ दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है की पांडव और द्रौपदी अपने वनवास के समय, कार्तिक मॉस के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को सूर्य देव की विशेष पूजा कर अर्घ्य देते थे। पुत्रों की कामना से द्रौपदी निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव की पूजा करती थीं।
महापर्व की तैओयरी लोग ज़ोरो से कर रहे है। प्रसाद के लिए गेहूं, चावल, नारियल आदि की खरीदी किया जा रहा है। बाज़ारों में भी छठ पूजा के सामग्री मिल रहे हैं। रविवार को झारखण्ड सरकार की ओर से जारी किये गए दिशा-निर्देश के अनुसार सरकार ने इस साल सभी को अपने निजी स्थानों पर ही महापर्व छठ की पूजा करने को कहा है। हलाकि, अभी भी कुछ राजधानी रांची में तालाब, डैम की साफ़-सफाई में लगे हुए है और अपने घाट सुनिक्षित कर रहे हैं।