देवताओं का प्रिय वृक्ष “करम”..

Jhupdate: झारखंड के मूल निवासियों के द्वारा मनाया जाता झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार करम पर्व की धूम चारों ओर दिख रही है। झारखंड में बरसों से इसे मना रहे यहां के मूल निवासी इसमें प्राकृतिक की पूजा करते है। करम, हल्दू, हरदू जैसे नामों से जाने और पाये जाने वाले बहुवर्षीय देव वृक्ष की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की जाती है

देवताओं का प्रिय वृक्ष…
प्राचीन शब्द ‘देवदारु’, जिसे देवताओं का प्रिय वृक्ष की भी मान्यता प्राप्त है । भादो मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को झारखंड, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ के आदिवासी मूल निवासियों के बीच देव- वृक्ष करम को परंपरागत अखड़ा आंगन में स्थापित कर पारंपरिक तौर से इसकी पूजा की जाती है।

करम की पूजा…
लोग ढोल-नगाड़ों और मांदर वादकों के साथ जंगल में जाते है। और करम के वृक्ष की पूजा कर पेड़ की एक या एक से अधिक शाखाओं को काटते हैं। शाखाओं को आमतौर पर अविवाहित, युवा लड़कियों द्वारा गाँव में लाया जाता है। और गांव के अखाड़ा (कभी-कभी मैदान में) के बीच में शाखा को लगाया जाता है। एक ग्राम पुजारी (क्षेत्र के अनुसार पान या देहुरी) धन और संतान देने वाले देवता (करम देवता) के लिए अंकुरित अनाज और हंडिया को प्रसाद में चढ़ाता है। फिर पूरा गांव मिलकर करम देवता की पूजा कर करम देवता (प्रकृति देवता) की कथा सुनाते है। फिर लोग अपनी पारंपरिक नृत्य शुरू करते हैं। और पूरी रात गायन और नृत्य में बिताते है जिसे करम नाच के नाम से जाना जाता है।

चावल के आटे का बनता व्यंजन…
कुंवारी लड़कियां नौ प्रकार के बीज जैसे चावल, गेहूँ, मक्का आदि टोकरी में लेकर इन बीजों की 7-9 दिनों तक देखभाल करते है। जिसे जावा कहा जाता है। करम उत्सव की सुबह महिलाओं द्वारा चावल को लकड़ी की यंत्र ढेकी में चावल कूट कर प्राप्त चावल के आटे का उपयोग स्थानीय व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है जो मीठा भी हो सकता है और नमकीन भी । इस व्यंजन को करम उत्सव की सुबह खाने के लिए पकाया जाता है, और पूरे मोहल्ले में बांटा जाता है।

तालाब में करते हैं विसर्जन…
ढोल-नगाड़ों और मांदर की थाप और लोकगीतों पर महिलाएं एवं पुरुष नृत्य करती। करम के अगले दिन नृत्य करते हुए करम को नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है । और इस तरह से करम नाचते गाते आता है और हमें खुशियां दे चला जाता है।

पारंपरिक कथाएं…
करम पर्व के ऊपर बहुत सारी पारंपरिक कथाएं है। किसी कथाओं में अच्छी उपज और खुशहाली के लिए करम पर्व मनाया जाता है तो किन्ही कथाओं में बहन-भाई के प्रेम को दर्शाया जाता है। कथाएं अनेक हो सकती है लेकिन प्राकृतिक और खुशी के साथ मनाया गया हर एक पर्व कल्याण और समृद्धि का प्रतीक है।