झारखंड सरकार ने राज्य की नियोजन नीति के तहत हुइ शिक्षको की नियुक्ति रद्द करने के आदेश के खिलाफ़ सुप्रेमे कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के पूर्व पीठ की आदेश को चुनौती दी है। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति दायर की है।
झारखण्ड हाई कोर्ट ने 21 सितम्बर को राज्य की नियोजन नीति को संविधान के खिलाफ बता कर शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने इस फैसले के समय कहा था कि राज्य सरकार ने 13 अनुसूचित जिलों की नियुक्तियां सिर्फ उसी जिलो के स्थानीय निवासी के लिए सुरक्षित कर दिया गया था जो बिलकुल सही नहीं था। सरकार की नीति से अनुसूचित जिले के सभी पद उन्ही जिले के निवासियों के लिए ज़्यादातर आरक्षित हो गई है। वही 11 गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की छूट हाई कोर्ट ने दे दी थी।
हलाकि, हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद कई शिक्षक सुप्रीम कोर्ट से मदद मांगी थी जिनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई है। इनके एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की रद्द की गई नियुक्ति के बाद भी सेवा जारी रहने की बाद कही, साथ ही इस अंतिम फैसले के कारण नियुक्ति न होने की परेशानी को भी तवज्जु देते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर अभी रोक लगा दी है। इस विषय में कोर्ट ने राज्य सरकार सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था और अपने जवाब सामने रखने का भी निर्देश दिया था। इस मामले की सुनवाई इस माह के अंत में निर्धारित की गई है।