झारखंड में कुछ दिनों में ब्लैक आउट हो सकता है| जी हां, दामोदर वैली निगम (डीवीसी) ने झारखंड सरकार को राज्य में ब्लैक आउट की चेतावनी दी है। पहले से ही 300 मेगावाट बिजली की कटौती कर रहे डीवीसी ने अब गुरुवार को झारखंड सरकार को बिजली आपूर्ति पूरी तरह बंद करने का अल्टीमेटम दिया है। निगम ने सरकार को चिट्ठी भेजकर कहा है कि जल्द बकाया नहीं चुकाया गया तो बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप कर देंगे।
इससे पहले बुधवार को हेमंत सरकार ने त्रिपक्षीय बिजली समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और रिजर्व बैंक के साथ बिजली बकाया को लेकर हुए समझौते में बंधे होने के कारण रिजर्व बैंक के अकाउंट से डीवीसी को पैसे का भुगतान कर दिया गया।
कितना है बकाया..
डीवीसी के मुख्य अभियंता (वाणिज्य) मानिक रक्षित ने इस बात की जानकारी दी है। बता दें कि, पेमेंट गारंटी के एवज में डीवीसी के पास जेबीवीएनएल के 177 करोड़ रुपये का एलसी जमा है| इसमें दिए शर्त के मुताबिक डीवीसी तबतक इसे नहीं भुना सकता जबतक जेबीवीएनएल बिजली का भुगतान करता रहेगा। वहीं डीवीसी ने अपना तर्क देते हुए बताया है कि कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन से 600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है जो कि पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत की जाती है। इसके अलावा बिजली कंज्यूमर मोड में 60 मेगावाट अतिरिक्त आपूर्ति की जाती है।
डीवीसी का कहना है कि जेबीवीएनएल भुगतान में लगातार विलंब करता है, जिससे बकाया बढ़ता जा रहा है। जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक की अवधि के लिए डीवीसी का 1960.20 करोड़ रुपये का बिल है। लेकिन इसके विरुद्ध जेबीवीएनएल ने अबतक मात्र 893.18 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। 1067 करोड़ रुपये की राशि अब भी बकाया है। इसके अलावा, पूर्व के बकाये को मिलाकर कुल 5 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। डीवीसी के बार-बार आग्रह के बावजूद जेबीवीएनएल भुगतान नहीं कर सका है।
कमांड एरिया में कई दिनों से हो रही आंशिक कटौती..
उधर, बकाए को लेकर डीवीसी, राज्य के सात जिलों में (जिसे कमांड एरिया कहा जाता है) में लगातार बिजली कटौती कर रही है। हालांकि, गुरुवार को किसी तरही की लोड शेडिंग नहीं हुई। वहीं, बुधवार को झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) ने डीवीसी को अतिरिक्त 44 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। 150 करोड़ रुपये के मासिक बकाया बिल में जेबीवीएनएल द्वारा 94 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है तथा 13 जनवरी तक शेष राशि के भुगतान की बात कही गई है।
त्रिपक्षीय समझौता रद्द करने का मिलेगा लाभ..
दूसरी तरफ, राज्य सरकार ने बिजली बिल भुगतान को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और रिजर्व बैंक के साथ हुए त्रिपक्षीय समझौते से खुद को बाहर कर लिया है। समझौता रद्द होने से झारखंड को कई मोर्चे पर लाभ होगा, हालांकि इसमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं। समझौता रद्द होने पर बिजली वितरण निगम पर इस बात का दबाव बना रहेगा कि वह बिजली आपूर्ति के एवज में डीवीसी को मासिक बिल का भुगतान करे।
बिजली चोरी सबसे बड़ी समस्या..
दरअसल, सबसे बड़ी परेशानी है कि झारखंड बिजली वितरण निगम जितनी बिजली की आपूर्ति करता है, उपभोक्ताओं से उसका आधे से ज्यादा पैसा वसूल नहीं पाता। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है बिजली की चोरी। इसे लेकर अब पदाधिकारियों की मिलीभगत के कई मामलों की जांच चल रही है। माना जा रहा है कि अगर इसपर लगाम लगाया गया तो राजस्व वसूली में बढ़ोतरी हो सकती है| ऐसी परिस्थिति में जेबीवीएनएल, डीवीसी का मासिक भुगतान चुकाने की स्थिति में होगा।
क्या है विकल्प..
- टीवीएनएल, जो कि सबसे बड़े ताप विद्युत प्रतिष्ठान है उसकी क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान में टीवीएनएल के पास 210 मेगावाट क्षमता के दो पावर प्लांट हैं। मरम्मत नहीं होने के कारण एक प्लांट अक्सर ठप रहता है। इसकी मरम्मत कर पूर्ण क्षमता से उत्पादन लिया जा सकता है।
- हाइडल पावर सिकिदरी से उत्पादन को शुरू किया जा सकता है। जलाशय में पर्याप्त जल मौजूद होने के बावजूद, इससे उत्पादन पूरी तरह ठप है।
- पीटीपीएस और एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम पर काम आगे बढ़ाया जाए। इसके जरिए राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ेगी ।
डीवीसी पर निर्भरता हुई है कम..
हाल के महीनों में राज्य सरकार की डीवीसी पर निर्भरता कम हुई है। यं संभव हुआ है उन क्षेत्रों में ट्रांसमिशन योजनाओं के पूरा होना पर, जहां डीवीसी पर निर्भरता थी। पहले जेबीवीएनएल हर महीने 300 करोड़ रुपये की बिजली डीवीसी से लेती थी, लेकिन अब ये आधा हो गया है।